भोपाल की वनिशा ने सीबीएसई बोर्ड में हाईस्कूल में 99.8 प्रतिशत अंक हासिल किए। वनिशा के माता-पिता कोरोना के कारण दुनिया को अलविदा कह गए, लेकिन वनिशा ने उनसे किया अपना वादा पूरा किया।
नई दिल्ली। हाल ही में सीबीएसई ने दसवीं-बारहवीं के नतीजे घोषित किए। इसमें भोपाल की वनिशा पाठक ने दसवीं में टॉप किया। उन्होंने 99.8% नंबर लाकर सबको चौंका दिया। वनीशा ने इंग्लिश, संस्कृत, साइंस और सोशल साइंस में 100 और मैथ में 97 अंक प्राप्त किए। उन्होंने अपने माता-पिता से वादा किया था कि वो एक मजबूत लड़की बनेंगी और पढ़ाई में टॉप कर उनका सपना पूरा करेंगी। वनिशा के माता-पिता कोरोना संक्रमण होने के बाद इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन वनिशा ने अपने माता-पिता के सपने को पूरा करने के लिए जी जान से जुटी हैं।
विषम परिस्थितियों में रखी पढ़ाई जारी
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब बच्चे बोर्ड एग्जाम की तैयारी में जुटे थे, ऐसे में वनिशा माता-पिता के कोरोना से सही होने की दुआ मांग रहीं थीं। लेकिन चिकित्सकों के तमाम प्रयासों के बाद भी वह बच नहीं सके। बिन मां-बाप की बच्ची के लिए यह एक कठिन समय था, लेकिन वनिशा ने माता-पिता से किए वादे को याद किया और खुद को संभालकर परीक्षा की तैयारियों में जुट गईं। हैरानी की बात ये थी कि उनको खुद के साथ-साथ अपने दस साल के छोटे भाई को भी संभालना था। भाई की परवरिश के लिए वनिशा छोटी उम्र में मां-बाप की भूमिका में आ गईं और भाई को हौसला दिया।
खुद को ही लिखा एक पत्र
माता-पिता वनिशा के पास नहीं था। ऐसे में खुद को मजबूत बनाने के लिए उन्होंने खुद को ही एक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने लिखा कि 'पापा में आपके बिना भी एक मजबूत लड़की हूं। आपके सपनों को जरूर पूरा करूंगी।' वनिशा बताती हैं कि उनके पिता उन्हें आईआईटी में देखना चाहते थे और चाहते थे कि वो यूपीएससी क्लीयर कर आईएएस अधिकारी बनें। वो अपने माता-पिता का सपना पूरा करने क लिए पूरी मेहनत कर रही हैं। माता-पिता के निधन के बाद वनिशा अपने मामा डॉ. अशोक कुमार के साथ रहती हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.