आंध्रा प्रदेश के एक छोटे से गांव वरीकुंटापाडू की रहने वाली बोड्डू नागा लक्ष्मी ने कोरोना संकट के समय अपने प्रयास से लोगों की मदद करने वाले सोनू सूद का दिल जीत लिया। सोनू ने उन्हें दुनिया की सबसे अमीर लड़की बताया है।
नई दिल्ली। कोरोना ने सभी का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। लोग रोजगार, स्वास्थ्य, रोटी सबसे परेशान हैं। ऐसे में सोनू सूद जैसे लोग आगे आकर परेशानी में फंसे लोगों की मदद कर रहे हैं। लेकिन कोरोना काल के हीरो सोनू सूद भी इस समय आंध्रा प्रदेश की एक दिव्यांग लड़की बोड्डू नागा लक्ष्मी के फैन हो चुके हैं। वो यूट्यूबर हैं। उन्होंने सोनू सूद को मदद के लिए पंद्रह हजार रुपये दान किए हैं। सोनू ने उनके इस प्रयास की तारीफ करने के साथ-साथ उन्हें दुनिया की सबसे अमीर लड़की का खिताब भी दिया है। अभिनेता सूद द्वारा की जा रही आम लोगों की मदद को देखते हुए कई लोग उनका सहयोग करने के लिए आगे आए हैं और सोनू के सहारे लोगों की मदद कर रहे हैं, धनराशि भेज रहे हैं। सूद फाउंडेशन को एक ऐसी लड़की ने डोनेशन दी है जो धन से नहीं बल्कि मन से अमीर है। इस लड़की ने सोनू सूद को अपना मुरीद बना लिया है।
बोड्डू नागा लक्ष्मी के हौसले हैं बुलंद
लक्ष्मी दिव्यांग हैं। लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं। सोनू सूद के जज्बे को देखते हुए दुनिया ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाए, लेकिन लक्ष्मी की मदद ने सोनू का दिल जीत लिया। नागा लक्ष्मी द्वारा डोनेट किये गए 15000 रुपयों की मदद को सोनू ने स्वीकार किया, बल्कि उनके इस नेक काम की दुनिया भर में तारीफ भी की।
जो मदद की वो उनकी पांच महीने की पेंशन थी
सोनू सूद ने खुद ट्वीट कर लोगों को बताया कि लक्ष्मी ने जो पैसा उन्हें भेजा। ये खुद उनकी पांच महीने की पेंशन थी। सोनू ने लक्ष्मी क इस जज्बे की तारीफ की और कहा कि आप असली हीरो हैं। किसी के दुख को देखने के लिए आंखों की नहीं अपनेपन की जरूरत होती है और आपमें वो अपनापन है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.