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यमन में गृहयुद्ध के बीच उम्मीदों का एक कैफे चलातीं महिलाएं

Published - Fri 20, Nov 2020

लंबे समय से गृहयुद्ध की पीड़ा झेल रहे यमन में महिलाओं द्वारा उम्मीदों का एक कैफे चलाया जा रहा है। हिंसा भरे माहौल में महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा ये कैफे एक सकारात्मक संदेश देता है।

 cafe Run by women

नई दिल्ली। यमन एक ऐसा देश है, जो छह साल से ज्यादा समय से गृह युद्ध का दंश झेल रहा है। जिससे यहां की अर्थव्यवस्था से लेकर यहां के लोगों की जीवन शैली पर नकारात्मक असर पड़ रहा है, लेकिन इस तनाव भरे माहौल के बीच यहां एक कैफे चला रहा है, जिसे देश में पहली बार महिलाओं ने शुरू किया है। इस  कैफे का संचालन से लेकर पूरी व्यवस्था महिलाओं के हाथ में है। यमन के मारिब इलाके में बने इस कैफे में काम करने वाली महिलाएं ही हैं। ये कैफे केवल महिलाओं के लिए हैं।

कैफे चलाने वाली महिलाओं को उम्मीद
इस कैफे में इम्पोर्टेड ड्रिंक्स से लेकर लाइट ब्रेकफास्ट तक सर्व किया जाता है। यहां ग्राहकों को फ्री इंटरनेट इस्तेमाल की छूट भी है। यूम फीरास ने इस कैफे की शुरुआत अप्रैल में की थी। यमन के तनाव भरे माहौल में महिलाओं का उद्देश्य समाज को सिर्फ इतना बताना है कि महिलाएं भी बिजनेस में अच्छा कर सकती हैं।इस कैफे को शुरू करने वाली महिलाओं का इरादा कुछ और कैफे खोलने का है।

अशांति के बीच शांति
इस कैफे को खोलने के पीछे महिलाओं का सबसे बड़ा मकसद ये है कि अगर आप घर या बाहर कहीं भी शांति-सुकून का कुछ वक्त नहीं बिता पा रहे हैं, तो यहांआकर आप चैन के कुछ पल बिता सकते हैं। यहां अच्छी सुविधा और सर्विस देने की कोशिश इन महिलाओं की है।

विरोध के बीच बढ़ाए कदम
इस कैफे को शुरू करने वाली महिलाओं ने देखा कि घर से बाहर निकलने वाली, काम करने वाली महिलाओं का विरोध होता है। उनका भी हुआ, लेकिन वोअपने इरादे की पक्की थीं और महिलाओं के लिए कुछ करना चाहती थीं वो भी बिना किसी डर के। उन्होंने हार नहीं मानी और गर्त में जाती अर्थव्यवस्था और देशको संभालने, महिलाओं को हौसला देने के लिए ये कैफे शुरू किया। आज उनका कैफे व वो खुद यमन में रहने वाली महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।