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ग्रामीणों को मुफ्त में सब्जियां बांट रही हैं छाया रानी

Published - Thu 21, May 2020

वह कहती हैं कि मौजूदा संकट में लोग प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के राहत कोष में योगदान कर रहे हैं। चूंकि मेरे पास नकद नहीं है, इसलिए मैंने ग्रामीणों को अपने खेत की सब्जियां बांटने का फैसला किया।

chhaya rani

ओडिशा के भद्रक जिले की रहने वाली छाया रानी साहू करीब दो दशक से सब्जियां उगाने का काम कर रही है। उनके चार बच्चे हैं। सब्जी की खेती के साथ-साथ एक डेयरी भी चलाती हैं, जिसमें करीब दो दर्जन गायों का पालन-पोषण होता है। इसी से वह अपना परिवार चलाती हैं। उनके पति भी खेती का ही काम करते हैं। हर साल खेती से ही उनकी तकरीबन तीन लाख रुपये की कमाई हो जाती है। इस साल कोरोना ने कहद बरपा दिया। कोरोना के चलते लॉकडाउन की घोषणा हो गई। लॉकडउान के बाद तो सब्जी को बाहर ले जाना संभव ही था। उस समय उनके पास करीब पच्चीस-तीस क्विंटल सब्जियां थीं। स्थानीय बाजार में मांग में बेहद थी। हालांकि उनके पासऑनलाइन सब्जी बेचने का भी एक विकल्प था। जिससे वह करीब चालीस-पचास हजार रुपये कमा सकती थी। लेकिन व्यापारी लॉकडाउन का हवाला देते हुए कम कीमत पर खरीदना चाहते थे। इसलिए छाया रानी ने फैसला किया कि इस बार हम सब्जी बेचेंगे नहीं बल्कि उन सब्जियों को गरीबों के बीच मुफ्त बांटने का बांट देंगे। करीब पचास क्विंटल सब्जियां पांच पंचायतों के गांवों में वितरित कर दी। सब्जियों के अलावा उन्होंने उन बुजुर्गों को दूध भी वितरित करना शुरू किया है, जो मवेशी पालने में असमर्थ हैं। लॉकडाउन से पहले भी उनका परिवार गरीबों की मदद कर रहा था

पैदल भी जाती हैं
गरीबों में सब्जियां बांटने के लिए उन्होंने कुछ स्वयंसेवकों का भी सहयोग लिया है। किराये के टेंपो से आसपास के गांवों में गई और तंबू लगाकर सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए लोगों को कतार में सब्जियां वितरित की। कभी-कभी तो पैदल ही जाकर लोगों के बीच सब्जियां बांटती हैं। 

ताजा सब्जियां
वह कहती हैं, बड़े गांव में हम स्वयंसेवकों के अलावा अपने परिजनों को भी साथ ले जाते हैं, लेकिन छोटे गांव में मैं अकेले स्वयंसेवकों के साथ जाती हूं। सब्जियों के आसान वितरण के लिए हम दो से तीन किलो के पैकेट बनाते हैं। हर पैकेट में ताजा टमाटर, कद्दू, बैंगन, भिंडी, गाजर, हरी मिर्च होती हैं, जो रोज के खाने के लिए उपयोगी रहती हैं।   

जागरूक भी करते हैं
छाया रानी कहती हैं कि सब्जियों के वितरण के दौरान हम सभी आवश्यक सावधानियां बरतते हैं। मैं खुद मास्क लगाती हूं, और सभी स्वयंसेवक भी मास्क लगाते हैं। साथ ही हम लोगों को इस वायरस के बारे में जागरूक भी करते हैं। मैं खुश हूं कि लोगों तक किसी तरह सहायता पहुंचा पा रही हूं।