पेशे से स्कूल क्लर्क पूजा कोरोना संकट के समय में जरूरतमंदों के लिए खाना बनाती हैं और बांटती भी हैं। फुटपाथ पर रह रहे लोगों के लिए पूजा मुसीबत के समय में एक मसीहा से कम नहीं हैं।
नई दिल्ली। जब अच्छा समय नहीं रहता, तो बुरा भी नहीं रहता। इसी सकारात्मक सोच के साथ राजस्थान की पूजा लोगों की मदद कर रही हैं। कोरोना संकट में जहां लोग घरों से निकलने में डर रहे हैं, वहीं पूजा ने आगे आकर जरूरतमंदों का हाथ थामा है और अलवर शहर में भूखों को भोजन करा रही हैं। अलवर के राजकीय माध्यमिक स्कूल में क्लर्क की नौकरी करने वाली पूजा फुटपाथ पर रह रहे लोगों को रोजाना भोजन कराती हैं।
घर पर होता है भोजन तैयार
इन दिनों स्कूल आदि बंद हैं, तो पूजा को लगा कि इस खाली समय में जरूरतमंदों के लिए कुछ किया जाए। पूजा ने देखा कि फुटपाथ पर रहने वाले लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है, तो ऐसे में अगर उनको दो टाइम का भोजन मिल जाए, तो उनको राहत मिलेगी। बस इसी सोच के साथ पूजा ने उन्हें रोजाना भोजन कराने का प्रण लिया और अपने घर पर ही शुरू कर दिया खाना बनाना। वे रोजाना पचास लोगों का खाना बनाकर अपनी स्कूटी पर बैठकर निकल जाती हैं, जरूरतमंदों को भोजन कराकर ही लौटती हैं।
अकेली चली थीं लेकिन मिलने लगा सहयोग
पूजा ने इस काम को अकेले ही शुरू किया था, लेकिन उनके काम को देखते हुए जिला अस्पताल में काम करने वाले विशाल भी उनके साथ जुड़ गए। पूजा का प्रयास छोटा है, लेकिन वो इसे बड़ा करना चाहती हैं और लोगों से अपील करती हैं कि वो इस काम में साथ आएं, जिससे जरूरतमंदों को भोजन मिल सके। पूजा फुटपाथ के साथ-साथ अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों के परिजनों को भी भोजन कराती हैं। पहले दस लोगों से शुरुआत हुई थी अब पचास को भोजन कराती हैं। उनके इस नेक काम को देखते हुए उनके स्कूल स्टाफ ने भी मदद का हाथ आगे बढ़ाया है और आर्थिक रूप से पूजा की मदद कर रहे हैं। वह खाना तैयार करती हैं और लोगों के बीच बांटती हैं. उनकी कोशिश है कि वे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मदद कर सकें।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.