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कोरोना योद्धा : डर लगता है, पर पहले है कर्तव्य

Published - Mon 06, Apr 2020

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ डॉक्टर्स, नर्सेज के साथ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ रहे हैं। अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के दौरान इनको भी संक्रमित होने का खतरा होता है लेकिन ये सबकुछ भूलकर मानवसेवा के अपने धर्म का पालन करते हैं।

pooja

नई दिल्ली। कोरोना से जंग लड़ रहे कुछ कोरोना योद्धाओं के अनुभव इतने रोचक हैं कि उनसे सीख लेकर दूसरे लोग भी मानवता के हित में काम कर रहे हैं। ऐसी ही दिल्ली पुलिस की 24 साल की एक कांस्टेबल हैं पूजा। कांस्टेबल पूजा की ड्यूटी दिल्ली स्थित राममनोहर लोहिया अस्पताल के क्वारंटीन वॉर्ड में गार्ड के रूप में लगी है। वह रोज अपनी स्कूटी से शिफ्ट के अनुसार सुबह या शाम को अस्पताल पहुंचती हैं। गेट पर पहुंचते ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से उन्हें अपना सामान जमा कर प्रोटेक्टिव सूट को पहना होता है। इसके बाद ही उन्हें कोरोना से संक्रमित मरीजों के वार्ड की तरफ जाने की अनुमति मिलती है।

12 घंटे की शिफ्ट, कभी ज्यादा समय तक करना होता है काम

क्वारंटीन वार्ड के गार्ड के रूप में लगभग उन्हें 12 घंटे की शिफ्ट करनी होती है लेकिन, विपरीत परिस्थितिओं में इसे बढ़ाया भी जा सकता है। यहां उनका काम यह देखना होता है कि कोई मरीज डॉक्टरों के साथ अभद्र व्यवहार न करे या क्वारंटीन सेंटर से भाग न पाए।

मरीजों को समझाना कठिन, कई  ने की भागने की कोशिश

पूजा बताती हैं कि जब मरीजों का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आता है, तब उन्हें समझाना बहुत मुश्किल काम होता है। हाल में ही कई संक्रमित मरीजों ने डर कर क्वारंटीन सेंटर से भागने की कोशिश की। तब हमने उनकी काउंसिलिंग की और उन्हें समझाया कि वे यहां से जाते हैं तो कई अन्य लोगों में संक्रमण फैला देंगे।

हॉस्पिटल में ऐसे खुद को बचाती हैं पूजा

यहां डॉक्टर भी मरीजों को आश्वस्त करते रहते हैं कि वे जल्दी ही ठीक हो जाएंगे। पूजा भी डॉक्टरों के साथ मिलकर मरीजों को बहुत प्यार और धैर्य के साथ मरीजों से बात करती हैं। हालांकि इस बीच में उन पर खुद को भी स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी होती है।

खाने का समय भी मुश्किल से मिलता है

संक्रमित होने के खतरों के बीच पूजा खाना खाने के लिए भी बड़ी मुश्किल से समय निकालती हैं। उन्होंने बताया कि मैं खुद खाना बनाकर ड्यूटी पर लेकर आती हूं। जब भी भूख लगती है, उससे पहले हमें अपना प्रोटेक्टिव सूट, ग्लव्स और मास्क को हटाकर अच्छे से हाथ-मुंह साफ करना होता है। फिर हम इसे पहनकर अपनी ड्यूटी पर वापस आ जाते हैं।

संक्रमित होने का रहता है डर, लेकिन कर्तव्य पहले

पूजा बताती हैं कि मुझे भी संक्रमित होने का डर लगता है लेकिन यह मेरा कर्तव्य है। मैंने लोगों की सेवा को चुना है। मैं एक पुलिसकर्मी के रूप में बहुत खुश हूं। पूजा दिल्ली के शिवविहार की रहने वाली हैं। यह इलाका हाल में ही हुए दंगों की चपेट में भी आया था। पूजा अपने परिवार में अकेली पुलिसकर्मी हैं और उनके पिता ऑटोरिक्शा चालक हैं।