आज महिलाएं ट्रेन चलाने से लेकर हवाई जहाज उड़ाने तक का काम बड़ी कुशलता से कर रही हैं। इसके बावजूद कुछ ऐसे हैवी वाहन हैं, जिनका जिक्र आते ही आज भी जहन में किसी पुरुष के ही उसे चलाने का दृश्य घूम जाता है। जेसीबी मशीन को लेकर भी ऐसी ही धारणा है कि इसे सिर्फ पुरुष की कुशलता से चला सकते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के छोटे से गांव खैरझिटी में रहने वालीं दमयंती सोनी को जेसीबी चलाते देख आपकी यह धारणा बदल जाएगी। एक समय था जब दमयंती देवी को ड्राइविंग के नाम से भी डर लगता था, लेकिन पति की मौत के बाद दो मासूम बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी का निर्वाह्न करने के लिए उन्होंने न सिर्फ जेसीबी की स्टेयरिंग थामी, बल्कि आज वह उसे खिलौने जैसा चलती हैं। आइए जानते हैं दमयंती सोनी के संघर्ष के बारे में...
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के छोटे से गांव खैरझिटी में रहने वालीं दमयंती सोनी को लोग जेसीबी वाली दीदी है। उन्हें जेसीबी चलाते देख लोग हैरान रह जाते हैं, लेकिन उनके लिए यह सफर आसान नहीं था। एक समय ऐसा था जब उन्हें ड्राइविंग से बहुत डर लगता था। लेकिन कहते हैं न कि हालातों के आगे झुक कर कभी-कभी हमें अपने डर का सामना भी करना पड़ता है। कुछ ऐसी ही हुआ था दमयंती के साथ। दमयंती के पति ड्राइवर थे और जब भी वह अपने पति को ड्राइविंग करते देखती तो उन्हें बहुत डर लगता। हालांकि पति के निधन के बाद उन्हें इसी डर पर जीत हासिल करनी पड़ी। दरअसल, अचानक दमयंती के पति का निधन होने के कारण परिवार और बच्चों की सारी जिम्मेदारी उनके सिर पर आ गई। ऐसे में हालातों के आगे झुकने की बजाए वह उन्हीं से लड़ीं और आज वह इन बड़े-बड़े वाहनों को खिलौने की तरह चला लेती हैं। दमयंती ने साउथ एशिया कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट एक्सपो में टाटा हिताची कंपनी के बैकहोल्डर के सबसे एडवांस वर्जन को ऑपरेट किया।
पति ने शर्त के बहाने दूर किया था डर
दमयंती के अपने डर पर जीत हासिल करने की कहानी काफी दिलचस्प है। दमयंती के पति उनके डर के बारे में अच्छे से जानते थे। इसे दूर करने के लिए एक बार उन्होंने दमयंती के सामने शर्त रखी कि खुले मैदान में 100 मीटर लोडर चलाकर दिखाने पर वह उन्हें इनाम देंगे। डर और हिचक के बावजूद दमयंती ने यह करने की ठानी और शर्त जीत ली। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा। अगली बार पति ने फिर लोडर चलाने पर 500 रुपये देने की शर्त रखी। इस शर्त को जीतने के लिए दमयंती ने ऐसा ही किया और फिर शर्त जीत गईं। इन दोनों घटनाओं ने हैवी वाहन को लेकर उनके डर को खत्म किया। असमय पति की मौत के बाद दमयंती ने इसे ही जीने का जरिया बना लिया।
कई पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं जेसीबी वाली दीदी
दमयंती को न सिर्फ जेसीबी चलाने में महारत हासिल है, बल्कि वह पांच साल तक जनपद पंचायत सदस्य भी रह चुकीं हैं। कभी भी किसी की मदद करने की भी बात होती है तो वह हमेशा ही आगे रहती है। उन्हें जूडो-कराटे भी आता है। वह कईं बार बदमाशों की पिटाई कर चुकी हैं। इस कारण उन्हें कई बार इनाम से नवाजा जा चुका है। दमयंती अपने आस-पास की महिलाओं और युवतियों को भी सशक्त बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी देती हैं।
आज भी रोजाना 10 घंटे करती हैं काम
एक समय मजबूरी में दमयंती ने जेसीबी मशीन की स्टेयरिंग थामी थी। तब उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ अपने परिवार व बच्चों का पेट पालना था। समय के साथ उनके पास शोहरत और दौलत दोनों आई, लेकिन उन्होंने आज भी इस काम को नहीं छोड़ा है। वह आज भी दिन में लगभग 10 घंटे तक काम करती हैं। दमयंती ने कई महिलाओं को भी जेसीबी चलाना सिखाया है। वह पुरुषों को भी जेसीबी चलाना सीखा चुकी हैं। दमयंती के इस हौसले को आस-पास के लोग सलाम करते हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.