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नौकरी से पहली हुई शादी लेकिन दमयंती ने कदम नहीं रोके

Published - Sun 30, Aug 2020

आगरा में एसआई के पद पर कार्यरत्त दमयंती की शादी नौकरी लगने से पहले हो गई थी, लेकिन अपने सपने को पूरा करने के लिए दमयंती जुटी रहीं और आज वो एसआई के पद पर काम कर रही हैं।

damyanti

आगरा। अक्सर बेटियों की शादी होने के बाद उनके सपने या तो पूरे नहीं हो पाते या फिर ससुरालवाले उनके सपनों को कुचल देते हैं और कहते हैं कि अब क्या करोगी, घर-गृहस्थी संभालो। लेकिन कुछ बेटियां ऐसी भी होती हैं, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर मुश्किल से जूझती हैं और सपने सच करके दिखाती हैं। कुछ ऐसा ही आगरा में तैनात एसआई दमयंती ने भी किया। सपने पूरे होने से पहले परिवार ने शादी कर दी, पर दमयंती ने कदम नहीं रोके और सफलता को चूम लिया।
मूल रूप से कानपुर देहात के पुखराया की रहने वाली दमयंती बचपन से ही पढ़ने लिखने में होशियार थीं, चूंकि ग्रामीण परिवेश में बेटियों को ज्यादा छूट नहीं दी जाती, तो दमयंती के शादी योग्य होने पर उनका विवाह कर दिया गया। इसी बीच दमयंती के दो भाई पुलिस में चयनित हो गए थे। दमयंती भी पुलिस की नौकरी करना चाहती थीं, लेकिन ससुराल में  घर से बाहर जाना आसान नहीं था। इसके बावजूद दौड़ की तैयारी की। परिवार ने साथ दिया, लेकिन दूसरे मना करते थे। इस बीच रेलवे टीसी की नौकरी की। दो भाई पुलिस में हैं। इसके बावजूद वह कहते कि पुलिस में क्या करोगी। दमयंती ने भाईयों को समझाया कि ये उनका सपना है। इसी बची पुलिस की नौकरी निकली, तो दमयंती ने परीक्षा दी और वह सफल हो गईं। तब दमयंती ने रेलवे में टीसी की नौकरी को अलविदा कहा और पुलिस सेवा में आ गईं।

मां और पुलिस दोनों की भूमिका एक साथ निभाई
जिस समय दमयंती का चयन हुआ, तब तक उनके घर एक बेटे ने जन्म लिया। मेटरनिटी लीव खत्म होने के बाद दमयंती को ड्यूटी ज्वॉइन करनी पड़ी। ऐसे में दमयंती ने दिनभर की ड्यूटी के तनाव के बीच एक मां की भूमिका बेहद ही श्रेष्ठता से निभाई। रात को घर जाकर बेटे को संभालतीं। बेटा जागता तो बेटे के साथ जागतीं, बेटा रात में खेलता तो उसके साथ खेलतीं। दिनभर की ड्यूटी की थकान और रात को बेटे के साथ जागने के बाद भी दमयंती समय पर ड्यूटी पहुंच जातीं और अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभातीं। लेकिन इन सबके बीच मन में एक डर हमेशा रहता कि कोई यह न कह दे कि तुम महिला हो, पुलिस की नौकरी तुम से नहीं होगी। इसी डर में हमेशा खुद को बेहतर साबित करने में लगी रही। दमयंती कहती हैं कि पुलिस में अच्छे अधिकारी भी बहुत हैं। खुशनसीबी से मुझे अच्छे ही मिले। उन्होंने काम भी सिखाया और हौसला भी दिया। आज दमयंती खुश हैं कि उन्होंने अपने सपने को पूरा किया।