उत्तराखंड की दर्शनी देवी ने इस कोरोना काल में लोगों के सामने आदर्श पेश किया है। 82 साल की शहीद की पत्नी ने पीएम केयर्स फंड में अपने जीवन भर की जमा पूंजी दो लाख रुपये दान में दिए हैं। इसकी हर तरफ चर्चा हो रही है।
नई दिल्ली। दर्शनी देवी के पति भारतीय सेना में हवलदार पद पर थे। वह 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में शहीद हो गए थे। उनकी जीविका केवल पेंशन से चलती है। उसके बावजूद उन्होंने इसे दान करके बड़ी मिसाल पेश की है। उनकी इस पहल की चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने भी जमकर तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि लोगों को इस उदाहरण से सीख लेनी चाहिए। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल ने भी कहा कि वह ऐसे लोगों को प्रणाम करते हैं। उन्होंने कहा कि देश सेवा के प्रति समर्पित होकर उन्होंने नई मिसाल पेश की है। दर्शनी इससे बड़ा सेवा करने का मौका अब कहां आएगा। मैंने केवल देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाया है।
देश सेवा के लिए पेश की मिसाल
सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा, 'यह हमारी सेना है, यह हमेशा से ऐसी थी और ऐसी ही रहेगी। हमें दर्शनी देवी पर गर्व है। हम सबको उनसे सीखना चाहिए। अगर हम लोग कुछ नहीं दे सकते तो कम से कम अपने टैक्स ही समय से भर दें। यह भी देश के विकास के लिए बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा, 'मुझे पता चला कि परोपकारी हृदय की हमारी यह बुजुर्ग माता पहले भी अपने क्षेत्र में कई प्रकार के सामाजिक कार्यों का आयोजन करती रही हैं। पूज्य माता जी के पति हमारी सैन्य गौरव परंपरा के अंग रहे हैं, जो भारतीय सेना में हवलदार पद पर रहते हुए सन 1965 में शहीद हो गए थे। मैं इनकी त्याग-तपस्या और दानशीलता को नमन करता हूं और इनके चरणों में वंदन करता हूं।'
पहले भी कई बार किए हैं सामाजिक कार्य
दर्शनी देवी की उत्तराखंड के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने भी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा, 'उत्तराखंड वीरों के साथ-साथ दानवीरों की भी पुण्य भूमि है। जब जब देश पर कोई संकट आया है, उत्तराखंड के लोगों ने हमेशा पहली पंक्ति में खड़े होकर त्याग-बलिदान दिया है।'
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.