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बेटियों ने परिवार में ही फैलाया शिक्षा का उजियारा

Published - Thu 26, Nov 2020

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत ब्लॉक में अब तक 291 निरक्षर महिलाओं को किया साक्षर

हल्द्वानी। ब्लॉक की 291 महिलाओं ने साबित कर दिया कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। आप में जुनून है तो किसी भी उम्र में पढ़ सकते हैं और देश-दुनिया के बारे में जान सकते हैं। इन्हें कलम पकड़ाने वाली और हस्ताक्षर करना सिखाने वाली और कोई नहीं इन्हीं के घर-परिवार की बेटियां हैं। किसी ने अपनी मां को साक्षर किया तो किसी ने अम्मा, ताई और चाची को।
जिले में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया गया है। इसके तहत बेटियां साक्षरता की लौ जला रही हैं। निरक्षरों को साक्षर बनाकर उन्हें शिक्षा का हक दिला रही हैं। 291 महिलाएं जो अब तक अनपढ़ थीं उन्हें अब शब्द ज्ञान हो गया है और वह हस्ताक्षर करना तक सीख गईं हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में सभी जगह बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का विस्तार किया गया है। अब साक्षर बेटियों की मदद से गांव की एक निरक्षर महिला को साक्षर करने की योजना पर काम चल रहा है। इसके तहत हर आंगनबाड़ी केंद्र में एक निरक्षर महिला का चयन किया गया और एक साक्षर बेटी उस महिला को लिखना पढ़ना हस्ताक्षर करना सिखा रही है। जो महिलाएं अब तक साक्षर हुई हैं उनकी उम्र 50 साल से ज्यादा है। ब्लॉक में 231 आंगनबाड़ी केंद्रों और 60 मिनी केंद्रों पर एक-एक महिला का चयन कर उसे पढ़ना-लिखना सिखाया। 

योजना का हो सकता है विस्तार
इस योजना के जिले में अच्छे परिणाम आए हैं। नैनीताल में 1416 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। विभाग के अनुसार अगर सब कुछ ठीक रहा तो योजना का भी विस्तार किया जा सकता है।

जनपद में करीब 1.5 लाख लोग अनपढ़
नैनीताल जिले के आबादी करीब 9.50 लाख है। करीब 1.5 लाख लोग अनपढ़ हैं। जिले की साक्षरता दर 84 प्रतिशत है। ऐसी योजनाओं से ज्यादा लोगों को साक्षर किया जा सकता है।

100 रुपये मिलती है प्रोत्साहन राशि
एक महिला को साक्षर करने के बदले बेटियों को प्रोत्साहन राशि के तहत 100 रुपया मिलता है। अभी योजना शुरुआती चरणों में है। इसे शुरू हुए अभी एक महीना हुआ है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत अब बेटियों को भी पढ़ाने का जिम्मा दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों में निरक्षर महिलाओं को पढ़ी-लिखी बेटियों ने पढ़ा कर साक्षर किया है जिसके तहत इस योजना का बहुत ही सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। - चंपा कोठारी, सीडीपीओ ग्रामीण

जो बड़े, बुजुर्ग अनपढ़ रह गए हैं, उन्हें साक्षर करने का फायदा समाज के हर क्षेत्र में मिलेगा। बुजुर्ग साक्षर होने के बाद पहले से ज्यादा सुरक्षित हो सकेंगे। अकेले बाहर जाने में उन्हें दिक्कत नहीं होगी। यह पहल समाज के लोगों को जोड़ने का काम कर सकती है। रूढ़िवादी परंपराओं पर चोट पहुंच सकती है। -प्रो. भगवान सिंह बिष्ट, समाजशास्त्री