जहां आज के युवा बकरी पालन या कृषि को पिछड़ेपन से जोड़कर देखते हैं, वहीं देहरादून की श्वेता तोमर ने फैशन डिजाइनिंग जैसे ग्लैमरस पेशे को छोड़कर बकरी पालन को चुना और आज वो क्षेत्र में युवतियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं।
देहरादून। आज का युवा भाग रहा है। गांव, खेत-खलिहान छोड़कर। आधुनिकता की अंधी दौड़ में वो भी दौड़ रहा है। इसी दौड़ में देहरादून की श्वेता तोमर भी दौड़ी, लेकिन फिर वो रुकीं और चकाचौंध भरा जीवन छोड़कर बकरीपालन को आजीविका बनाने की ठानी और आज वो उन युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं, जो काम को छोटा या बड़ा मानकर आगे बढ़ते हैं।
गांव हो या शहर। पढ़े-लिखे युवाओं को बकरी पालन पिछड़ेपन का काम लगता है। लेकिन उत्तराखंड की श्वेता तोमर के लिए बकरी पालन काम नहीं पैशन है। बकरीपालन में श्वेता ने कई रिकॉर्ड भी कायम किए हैं और अब वो मुर्गीपालन में हाथ आजमा रही हैं, जो आधुनिक तकनीक पर आधारित है। फैशन डिजाइनिंग जैसा ग्लैमरस फील्ड को ठुकराकर श्वेता ने बकरीपालन को अलग पहचान दिलाई। जहां वो बकरीपालन कर रही हैं, उनका फार्म हाउस आधुनिकता सुविधाओं से लैस है। सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है और 2016 में शुरू किया गया उनका काम आज उनकी पहचान बन चुका है।
पिता के देखे सपने को किया पूरा
श्वेता के पिता हमेशा चाहते थे कि वो एक एग्रो फार्म हाउस खोलें। लेकिन बिना सपना पूरा किए वो चल बसे। पिता के जाने के बाद पढ़ी-लिखी श्वेता ने चकाचौंध भरी नौकरी को छोड़कर पिता के सपने को पूरा करने की ठानी और एग्रो फार्म हाउस पर काम शुरू किया। आज उनके पास अलग-अलग नस्ल की सैकड़ों बकरियां हैं। उनके यहां मुर्गी भी पाली जाती हैं और एक गोशाला भी है।
उठानी पड़ी कई परेशानी
जब श्वेता ने फार्म हाउस खोलने की ठानी, तो उन्होंने पति के साथ मिलकर एक करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया, लेकिन कोई भी बैंक इतना बड़ा लोन नहीं देना चाहता था। जैसे-तैसे तीस लाख रुपये का लोन मिला और श्वेता ने दस लाख की लागत से फार्म हाउस शुरू किया। नस्लों की पहचान, उनकी देखभाल, पैदावार बढ़ाने आदि में धीरे-धीरे वो महारत हासिल करती गईं और आज इस क्षेत्र में वो अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं। दूसरे प्रदेशों के लोग भी श्वेता से फार्मिंग के टिप्स और ट्रेनिंग लेने के लिए देहरादून आते हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.