लॉकडाउन में पति की नौकरी जाने के बाद दिल्ली की रजनी ने न केवल घर को संभाला बल्कि वो आज अन्य महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।
नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई और रोजगार पूरी तर ठप हो गए। जब तक अनलॉक की व्यवस्था शुरू हुई, तब तक लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी थीं। इन्हीं में से एक थे दिल्ली के रोहित सरदाना। रोहित एक बड़ी कॉस्मेटिक में अच्छे पैकेज की नौकरी कर रहे थे। नौकरी जाने के बाद परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा। रोहित इतने बड़े संकट के सामने टूट गए और सोचने लगे कि अब क्या होगा। चूंकि महिलाएं हमेशा मुसीबत के समय संकटमोचक बनकर सामने आती हैं, तो रोहित की पत्नी रजनी ने भी वही भूमिका अदा की और रोहित को हौसला दिया कि घबराने की जरूरत नहीं है, सब अच्छा होगा, जल्द ही वो कुछ काम शुरू करेंगी। रोहित सोचने लगे कि रजनी के दिमाग में क्या चल रहा है, इसी बीच रजनी ने अपना एक छोटा सा वेंचर शुरू किया। आज रजनी पति के साथ दिल्ली में अपनी कार में बिरयानी बेच रही है और घर का खर्च चला रही हैं।
रजनी कहती हैं हिम्मत नहीं हारनी चाहिए
रजनी का आइडिया हिट रहा और उनका वेंचर ठीकठाक चल रहा है। उनके कार ढाबे में बिरयानी, सोया चाप, तड़का छाछ भी मिलती है। सुबह दस बजे अपने चलते-फिरते ढाबे को सजाने के लिए वो सुबह पांच बजे उठती हैं और ठीक दस बजे अपना स्टॉल लगा लेती हैं। वो 10 से 3 बजे तक बिरयानी बेचती हैं, इस दौरान उनके पति भी उनका साथ देते हैं। वो अपने घर से 20-25 मिनट की दूरी पर ही स्टॉल लगाती है। बड़ी दुकान खोलने के नाम पर वह कहती हैं कि उनके पास इतना पैसा नहीं कि वो इसके लिए इन्वेस्ट कर सकें। रजनी को विश्वास है कि जल्द ही सब ठीक होगा और इस विश्वास के दम पर ही तो आज अपना वेंचर चला पा रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.