आज भले ही हम 21वीं सदी में पहुंच गए हों, लेकिन देश के कई पिछड़े राज्यों में सदियों से चली आ रही कुप्रथा पहले की तरह ही बरकरार है। बिहार से अलग कर बनाए गए झारखंड में भी लंबे समय से डायन कुप्रथा का बोलबाला है। इस कुप्रथा के बहाने सालों से महिलाओं का शोषण और सामाजिक बहिष्कार होता आ रहा है। कई महिलाओं को भीड़ की बर्बरता के कारण अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। अब इस कुप्रथा के खिलाफ खुद प्रदेश की महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है। राज्य सरकार भी इन साहसी महिलाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। झारखंड सरकार ने डायन कुप्रथा के खिलाफ गरिमा अभियान शुरू किया है। आइए जानते हैं डायन कुप्रथा के खिलाफ साहसी महिलाओं के संघर्ष के बारे में ....
नई दिल्ली। आदिवासी बाहुल्य झारखंड में निरक्षरता, गरीबी की स्थिति क्या है यह किसी से छिपी नहीं है। झारखंड की गिनती आज भी देश के सर्वाधिक पिछड़े राज्यों में होती है। शिक्षा का स्तर कम होने के कारण यहां तमाम तरह की कुप्रथाएं हैं। इनके खिलाफ केंद्र और राज्य सरकारें समय-समय पर जागरुकता अभियान चलाती हैं, लेकिन फिर भी व्यापक स्तर पर इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है। ऐसी ही एक कुप्रथा यहां सालों से चली आ रही है। इसका नाम है डायन कुप्रथा। टोना-टोटका में यकीन करने वाले ग्रमीण गांव में कोई भी अनहोनी होने या दैवीय आपदा आने पर गांव की किसी महिला को उसका जिम्मेदार ठहराते हुए उसके साथ अमानवीय कृत्य करते हैं। महिलाओं का सामाजिक बहिष्कार, उन्हें बिना कपड़ों के गांव में घुमाना, गांव से बाहर निकाल देना, उनके बाल काट देना जैसी शर्मनाक हरकतें भी महिलाओं के साथ इस कुप्रथा के नाम पर सालों से की जा रही है। अब इस कुप्रथा के खिलाफ गांव की महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है। वे खुद एक-दूसरे का सहारा बन इस कुप्रथा के नाम पर होने वाले शोषण को रोकने के लिए आगे आ गईं हैं। राज्य सरकार ने भी महिलाओं की मदद के लिए गरिमा अभियान शुरू किया है।
रंथी देवी को न्याय दिलाने को लेकर शुरू हुआ अभियान
झारखंड के एक गांव में 65 साल की रंथी देवी को डायन समझकर घर से निकाल दिया गया। उन्हें बिना कपड़ों के गांव में घुमाया गया। रंथी देवी इस अपमान से पूरी तरह टूट चुकी थीं। कुछ दिनों बाद 600 स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गांव की पंचायत के सामने उन्हें सम्मान दिलाने का प्रण लिया। महिलाओं के मुखर होने का असर यह हुआ कि गांव के पुरुषों ने वादा किया कि अब कभी भी डायन प्रथा के नाम पर किसी महिला को अपमानित नहीं किया जाएगा। गांव वालों ने रंथी देवी के पैर छूकर उनसे माफी मांगी। जो लोग इस अपराध में शामिल थे, उन्हें जेल भेज दिया गया। इस घटना ने रंथी देवी की जिंदगी बदल दी। अब वे सम्मान के साथ गांव में रहती हैं। महिलाएं लोगों को कर रही जागरूक डायन कुप्रथा के खिलाफ महिलाओं के मुखर होने के बाद अलग-अलग गांवों में महिलाओं ने समूह बनाया। ये समूह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अपने गांव के साथ आस-पास के गांव के लोगों को भी जागरूक करते हैं। झारखंड सरकार को महिलाओं की इस पहल की जानकारी हुई तो उसने गरिमा प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इसके तहत 1,149 महिलाएं को 500 गांवों की महिलाओं की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया है।
आत्मसम्मान के साथ मिल रहा रोजगार
सरकार की ओर से शुरू किए गए गरिमा प्रोजेक्ट का लाभ महिलाएं तमाम तरह से उठा रही हैं। गांव-गांव में बनाए गए महिलाओं के समूह ने अब डायन कुप्रथा के खिलाफ अभियान चलाने के साथ खुद को आत्मनिर्भर बनाना भी शुरू कर दिया है। महिलाएं अचार, पापड़, सिलाई-बुनाई जैसे तमाम काम कर परिवार की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर रही हैं।
बीते तीन सालों में इस कुप्रथा का शिकार हुईं 94 महिलाएं
स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा के मुताबिक डायन कुप्रथा के चलते 2019 में 27 महिलाओं की जान गई थी। 2017 में 41 और 2018 में इसी कुप्रथा के कारण 26 महिलाओं को अपनी जान गंवानी पड़ी। अब राज्य सरकार ने डायन कुप्रथा के खिलाफ गरिमा प्रोजेक्ट शुरू किया है। इससे महिलाओं को न केवल हौसला मिल रहा है, बल्कि वह तेजी से इससे जुड़कर ऐसी घटनाओं का विरोध भी कर रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.