लखनऊ के घीला गांव की दीक्षा कश्यप दो बच्चों की मां हैं, लेकिन साथ-साथ आत्मनिर्भर महिला हैं और 90 अन्य महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।
नई दिल्ली। कोरोना संकट के समय पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का सपना देशवासियों को दिखाया था और इसका असर भी खूब हुआ। लोग आज आत्मनिर्भर बनकर देश और खुद दोनों को मजबूत कर रहे हैं। इन्हीं आत्मनिर्भर लोगों में से एक हैं लखनऊ की दीक्षा कश्यप। दीक्षा 'रानी लक्ष्मी बाई' नाम का एक समूह चलाती हैं, जिसमें उनकी जैसी कई अन्य महिलाएं काम करती हैं। उन्होंने न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया बल्कि, अब वो करीब 90 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं।
शुरू किया मसाला पैकिंग का काम
दीक्षा के सामने एक विवाहित महिला होने के कारण आगे बढ़ने के लिए तमाम रूकावटें थीं। परिवार, बच्चे, समाज के ताने आदि। लेकिन दीक्षा चाहती थीं कि वो आगे बढ़े, आत्मनिर्भर बनें। सबसे पहले उन्होंने एक बकरी खरीदी और उसको पाला। आगे बढ़ने की ललक के कारण वो सोशल सहेली नाम के एक समूह के संपर्क में आईं। इस समूह के संपर्क में आने के बाद उन्होंने खुद का व्यवसाय शुरू करने की तैयारी की। थोड़े प्रशिक्षण और बुलंद हौसल के कारण उन्होंने चालीस हजार की पूंजी के साथ परिवार क साथ मसाला पैकिंग का बिजनेस शुरू किया। पहले तो समाज ने, लोगों ने ताने दिए, लेकिन बिना उनकी परवाह किए वो आगे बढ़ती रहीं। समय के साथ उनका काम चल निकला। आज उन्हें स्थानीय ऑर्डर मिलने लगे हैं। दीक्षा व्हाट्सएप समूहों और अन्य माध्यमों से ऑनलाइन खुद के प्रोडक्ट बेचती हैं और करीब 90 महिलाओं को काम दे रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.