उत्तराखंड की दिव्या रावत मशरूम गर्ल के नाम से मशहूर हैं, लेकिन दिव्या अपनी लैब में कीड़ा जड़ी नाम की एक औषधि का भी उत्पादन कर रही हैं। इस औषधि की विदेशों में खूब डिमांड है। उनकी एक कमरे से शुरू की गई कंपनी आज सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रही है।
देहरादून। अगर आप कुछ करना चाहते हैं, तो उसको करने के लिए आपके भीतर जोश, जुनून और जज्बा होना चाहिए। अगर आप ठान लें तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। उत्तराखंड की बेटी दिव्या रावत इसकी एक जीती जागती मिसाल हैं। मूल रूप से चमोली की रहने वाली दिव्या ने सबसे पहले मशरूम की खेती में हाथ आजमाया और उसमें सफल होने के बाद वो लैब में कीड़ा जड़ी (यारशागुंबा) के प्रोडक्ट तैयार करती हैं, जिसकी विदेशों में भारी डिमांड है। दिव्या की सफलता को देखकर हर कोई कहता है कि बेटियां किसी से कम नहीं होती हैं।
दिल्ली की नौकरी छोड़ लौट आईं उत्तराखंड
दिव्या दिल्ली में एक कंपनी में अच्छी नौकरी करती थीं, लेकिन उनको हमेशा लगता था कि ये काम उनके लिए नहीं है। इसी उधेड़बुन में एक दिन दिव्या ने नौकरी छोड़ दी और देहरादून लौट आईं। ये साल 2012 की बात है। इसके बाद दिव्या को समझ नहीं आया कि अब आगे क्या करना है। दिव्या ने देहरादून के मोथरोवाला में एक कमरे में मशरूम उगाने का काम शुरू किया ओर सौ बैग मशरूम उगाए। इस प्रयास ने उन्हें हौसला दिया, तो काम को धीरे-धीरे आगे बढ़ाना शुरू किया और धीरे-धीरे दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, यूपी तक उनकी मशरूम की मांग होनी लगी। उन्होंने लोगों को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग देना भी शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी मशरूम विदेशों तक भी जाने लगी और दिव्या ने दिखा दिया कि प्रयास कभी बेकार नहीं जाते।
तैयार की करोड़ों की लैब
दिव्या ने देहरादून के मोथरोवाला में करोड़ों की लागत से एक लैब तैयार किया है, जिसमें हिमालयी की तलहटी में पाई जाने वाली दुर्लभ औषधि कीड़ा जड़ी पर काम होता है। इस औषधि की विदेशों में काफी मांग है और ये करीब बीस लाख रुपये किलो तक बिकती है। दिव्या ने अपनी एक कंपनी स्पोन लैब प्राइवेट लिमिटेड भी बनाई है, जहां चाय, कैप्सूल मशरूम मसाला, अचार आदि प्रोडक्ट भी बनाये जाते हैं। कीड़ा जड़ी औषधि से बनी देहरादून की चाय की अमेरिका, चीन, जापान में बेहद डिमांड है।
उत्तराखंड की ब्रांड एंबेसडर भी हैं दिव्या
मूल रूप से चमोली की रहने वाली दिव्या जब बारहवीं कक्षा में थीं, तो उनके पिता का निधन हो गया। उनके बाद परिवार देहरादून आकर बस गया। दिव्या ने नोएडा आकर पढ़ाई शुरू की और यहां से सोशल वर्क की डिग्री हासिल थी। उनकी सफलता को देखकर उत्तराखंड सरकार ने उन्हें अपना ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है। दिव्या को राष्ट्रपति सम्मान भी मिल चुका है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.