हरियाणा में कार्यरत्त डॉ. पायल रावत को हर कोई पैड वुमेन के नाम से जानता है। अपनी अनोखी मुहिम के दम पर पायल आज महिलाओं को मुफ्त में सेनेटरी नैपकिन दे रही हैं।
नई दिल्ली। हरियाणा देश का एक ऐसा राज्य है, जहां महिलाओं को ज्यादा आजादी नहीं दी गई है। महिलाएं यहां अपनी बात दबी जुबान में करती हैं और अपने हक की आवाज तो उठाना यहां बेईमानी है। इसी हरियाणा के यमुनानगर की डॉ. पायल रावत एक ऐसी महिला हैं, जिन्होंने न केवल महिलाओं को शर्म की चादर को दूर करना सिखाया, बल्कि उन्हें मुफ्त में सेनेटरी नेपकिन भी उपलब्ध करा रही हैं।
डॉ. पायल रावत पैड वुमैन के नाम से जानी जाती हैं। अपनी अनोखी मुहिम के चलते वो हरियाणा की महिलाओं के लिए एक मसीहा हैं। पायल की पहचान हरियाणा में एक चिकित्सक से ज्यादा पेड वुमैन के नाम से ज्यादा होती है। सेनेटरी नैपकिन के बारे में जानकारी फैलाने वाली पायल ने महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर को लेकर भी एक अभियान चलाया है। वो महिलाओ को गर्भाशय के कैंसर के बारे में जागरुक करती हैं और उनको बचाव के उपाय भी बताती हैं।
जब कॉलेज में लगाई सेनेटरी नैपकिन मशीन
पायल उस समय चर्चा में आईं, जब उन्होंने यमुनानगर के जीएनजी कॉलेज में महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराने के लिए मशीन लगाई। उनकी इस पहल का हरवर्ग ने स्वागत किया और सराहा। पायल की कोशिश है कि वह प्रदेशभर में 400 स्थानों पर सेनेटरी पेड वाली मशीन लगाएं। उनका मकसदल करोड़ों महिलाओं को लाभ पहुंचाना है, क्योंकि आज भी हरियाणा में महिला द्वारा सेनेटरी नैपकिन की मांग करना किसी अपराध ये कम नहीं है।
स्त्रीरोग विशेषज्ञ पायल का सपना
पायल के एक करीबी की पत्नी की मौत गर्भाशय के कैंसर से हो गई थी। इस घटना ने पायल को परेशान कर दिया और पायल को सोचने पर मजबूर किया। उन्होंने तय किया कि वो इस रोग की तह तक जाएंगी और जागरुकता फैलाएंगी। शोध के दौरान उन्हें पता चला कि इस कैंसर का बड़ा कारण गंदे सेनेटरी नैपकिन हैं। बस फिर क्या था। पायल ने इसी दिशा में कदम बढ़ाने की ठान ली और निर्णय लिया कि वो इसी विषय पर मुहिम चलाएंगी। उनके इस अभियान में उन्हें कई समस्याओं और विरोधों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन पायल ने हार नहीं मानी। आज पायल 15 हजार से ज्यादा महिलाओं को हाइजेनिक पैड के बारे में जानकारी प्रदान कर चुकी हैं और महिलाओं कोनिशुल्क पैड उपलब्ध भी करवा रही हैं। उनका एक सपना है कि वो एक करोड़ महिलाओं तक अपनी मुहिम को ले जाएं ओर जागरुकता फैलाएंडॉ. रावत कहती हैं कि ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अब भी मासिक धर्म होने पर सुरक्षित तरीक के बारे में नहीं अपनातीं और सिनेटरी पैड के इस्तेमाल से दूर हैं। यही कारणहै कि वे गर्भाशय कैंसर की चपेट में आ जाती हैं।
पति ने साथ दिया
जब पायल ने अपने अभियान को लेकर अपने पति विशाल से बात की तो, विशाल ने उनके इस अभियान की सराहना की और हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। इसके बाद उन्होंने एक एनजीओ बनाया और दिल्ली, यूपी, बिहार, उत्तराखंड में काम शुरू किया और महिलाओं को जागरुक करना शुरू किया। सबसक पहले महिलाओं को मुफ्त सेनेटरी पैड उपलब्ध करवाने के लिए यमुनानगर के जीएनजी कॉलेज में पहली मशीन लगाई। नगर निगम से बातचीत कर 28 मशीनें लगाने के लिए स्थान तय हो गया है। आज पायल सेनेटरी नैपकिन और गर्भाशय के कैंसर को लेकर जागरुकता फैला रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.