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डॉ. समर हुसैन गांव-गांव बांटती हैं चप्पल

Published - Sun 24, Jan 2021

जयपुर की डॉ. समर हुसैन गांव-गांव जाकर लोगों को मुफ्त चप्पल देती हैं। उनका उद्देश्य नंग पांव रह रहे लोगों को बीमारियों से बचाना है।

Dr Samar Hossain

जयपुर। डॉक्टरों की कोशिश होती है कि वो लोगों को बीमारियों से बचाएं और उनको बीमार न होने देने के उपाय सुझाएं। लेकिन एक डॉक्टर ऐसी भी हैं, जो लोगों को बीमार होने से बचाने के लिए अपने जेब से पैसा खर्च करती हैं। जयपुर की डॉ. समर हुसैन जब भी किसी गांव के दौरे पर जाती हैं या किसी को नंगे पांव देखती हैं, तो तुरंत उनके पास चप्पल लेकर पहुंच जाती हैं और उन्हें चप्पल देती हैं। डॉ. समर हुसैन का मानना है कि नंगे पांव रहने से लोग बीमार ज्यादा पड़ते हैं चूंकि वो पेशे से डॉक्टर हैं, तो वो किसी को नंगे पांव नहीं देख सकतीं।
हमेशा पास रहती हैं चप्पल
डॉ. समर हुसैन आते-जाते समय हमेशा अपने पास कुछ जोड़ी चप्पल रखती हैं। सड़क पर भीख मांगते लोगों, नंगे पांव मजदूरी करते इंसानों, सार्वजनिक स्थानों पर जहां भी कोई उन्हें नंगे पांव मिल जाता है, वो उसे चप्पल देती हैं। अगर उसके नाप की चप्पल नहीं पास होती तो वो उसे बाजार से नई चप्पल दिलवा देती हैं। खासकर उनका फोकस नंगे पांव रहने वाले बच्चों पर है। वह   ‘लिटिल हॉर्टस’ के जरिये चप्पल बांटने का काम करती हैं। दिल्ली और जयपुर में फिलहाल उनका ये काम चल रहा है।
एमडी की पढ़ाई कर रही हैं डॉ. समर
डॉक्टर समर हुसैन फिलहाल जयपुर से कम्यूनिटी मेडिसन में एमडी की पढ़ाई कर रही हैं। इसलिए उनको पढ़ाई के सिलसिले में अलग-अलग गांवों में जाना पड़ता है। समर कहती हैं कि हम गरीबों को मदद के लिए खाना, कपड़े आदि देते हैं, लेकिन वो ज्यादा नहीं चल पाते, लेकिन अगर हम गरीबों को ,असहाय बच्चों को मदद के तौर पर चप्पल देंगे, तो वो कम से कम छह महीने तक तो चलेंगी ही साथ ही वो बीमारियों से भी बचे रहेंगे।
बनाया ‘लिटिल हॉर्टस’
समर ने देखा कि गांव में बच्चे नंगे पैर ही घूमते थे इस वजह से उनको पैरों में इन्फेक्शन और कई दूसरी बीमारियां हो जाती थीं। जिसके बाद उन्होंने नवम्बर 2015 को ‘लिटिल हॉर्ट्स’ की स्थापना की। इस संगठन का मुख्य काम गरीब बच्चों को निशुल्क चप्पल उपलब्ध कराना है। डॉक्टर समर की टीम में इस वक्त करीब 30 वालंटियर जुड़े हैं जो कि मेडिकल के अलावा एमबीए और इंजीनियरिंग क्षेत्र से जुड़े छात्र हैं। डॉ समर अपने इस अभियान को देश के और शहरों में विस्तार देना चाह रही हैं। पर फंडिंग आड़े आ रही हैं।