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पाकिस्तान में इतिहास रचने वाली हिंदू लड़की डॉ. सना राम चंद

Published - Wed 19, May 2021

डॉक्टर सना राम चंद पाकिस्तान की वो पहली हिंदू लड़की हैं, जिन्होंने सेंट्रल सुपीरियर सर्विस (सीएसएस) परीक्षा पास की और उनका नाम पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा के लिए सुझाया गया है।

 Dr Sana Ramchand

नई दिल्ली। पाकिस्तान में हिंदूओं के साथ आए दिन होने वाले अत्याचार की खबरें आती रहती हैं। कहीं जबरन विवाह कर लिया जाता है, तो कहीं जान से मार दिया जाता है। पाकिस्तान में हिंदूओं पर भी तालिबानी हुक्म चलाए जाते हैं और कट्टरपंथी उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराने की फिराक में रहते हैं और चाहते हैं कि वो आगे न बढ़ पाएं, लेकिन इन सब परेशानियों के बीच एक हिंदू लड़की डॉ सना राम चंद ने वहां अपना नाम इतिहास में दर्ज कर लिया है। सना पाकिस्तान में सेंट्रल सुपीरियर सर्विस (सीएसएस) परीक्षा पास करने वाली पहली हिंदू लड़की हैं।
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में करीब बीस लाख हिंदू आबादी रहती है। इस क्षेत्र की ज्यादातर लड़कियां स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। सीएएस की परीक्षा 2020 में हिंदू बाहुल्य आबादी की ज्यादातर लड़कियों ने परीक्षा में भाग लिया और उसमें से इंटरव्यू तक पहुंचने में केवल 221 लोग ही सफल हुए। इनमें एक नाम था सिंध की डॉ सना राम चंद का। सना ने परीक्षा और इंटरव्यू दोनों में सफलता प्राप्त कर दिखा दिया कि बेटियों को मौका मिले, तो वो कुछ भी कर सकती हैं।
गांव से ही हुई पढ़ाई की शुरुआत
सिंध के ग्रामीण इलाके शिकारपुर जिल के चक गाव में पैदा हुई, पली-बढ़ी सना की प्रारंभिक शिक्षा यही से हुई। पिता चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े थे, तो उनका भी बचपन से सपना था कि वो डॉक्टर बनें। इंटर करने के बाद सिंध के चांडका मेडिकल कॉलेज से सना ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद सिविल अस्पताल में प्रैक्टिस करने लगीं। सना ने कुछ समय कराची हाउस में भी काम किया। सिंध के इंस्टीटयूट ऑफ यूरोलॉजी एंड ट्रांसप्लांट से
यूरोलॉजी में एफसीपीएस कर सना ने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें  सीएसएस करना है। अस्पतालों में काम करते हुए सना ने सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा को देखा तो वह टूट गईं और उन्होंने सीएसस करने का फैसला किया। उन्हें सीएसएस का विचार 2019 में आया. उन्होंने तैयारी शुरू कर दी और 2020 में पेपर दिए और पास हो गई। उन्होंने एफसीपीएस को जारी रखा और चिकित्सा अधिकारी की नौकरी नहीं छोड़ी। उन्होंने कोविड वार्ड की ड्यूटी के साथ इंटरव्यू की तैयारी की।
ड्यूटी के दौरान भी करती रहीं पढ़ाई
कोविड वार्ड में बारह से सोलह घंटे की ड्यूटी खत्म करने के बाद सना सीधे लाइब्रेरी जातीं और वहां पढ़ाई करतीं। पढ़ने में दिक्कत न हो, इसलिए उन्होंने फोन से अपना सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कर दिया और पढ़ाई करतीं। रोजाना करीब पांच घंटे ही सोन को मिलता, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। अखिर सना सफल हुईं और दिखा दिया कि हिम्मत और मेहनत के बल पर सबकुछ पाया जा सकता है।