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मानसिक रोग से पीड़ित महिलाओं का इलाज के साथ पुनर्वास करा रहीं डॉ. सुछेन्द्रा

Published - Wed 20, Jan 2021

डॉ. सुछेन्द्रा मानसिक रोग से पीड़ित महिलाओं का न केवल इलाज कर रहीं है बल्कि वह उनके पुनर्वास की व्यवस्था भी करती हैं। मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए उन्होंने एक संगठन भी स्थापित किया है।

dr. sudhendra

नई दिल्ली। डॉ. सुछेन्द्रा ब्रह्मा पश्चिम बंगाल में कोलकाता की रहने वाली हैं। कोलकाता से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अमेरिका से उच्च शिक्षा हासिल की और वहां मनोचिकित्सक के रूप में काम किया। फिर वर्ष 1998 के आसपास वह भारत आ गईं और कोलकाता में काम करना शुरू किया। उनकी मानें तो मेरे पास कई लोग अपना इलाज कराने के लिए आते थे लेकिन एक बात मुझे समझ में आई कि मनोरोगों की किसी को सही जानकारी नहीं है और वे नहीं जानते कि इसका इलाज कैसे कराया जाए। अधिकतर मामलों में मनोरोगी परिवार पर बोझ बन जाते हैं और उन्हें असहाय छोड़ दिया जाता है। मैंने रेलवे स्टेशन, स्टेडियम, दफ्तरों के आसपास कई महिलाओं को देखा, जिन्हें उनके परिजनों ने छोड़ दिया था। ऐसे में उन्होंने भी सामान्य जीवन जीने की आशा छोड़ दी थी। तब मुझे लगा कि सिर्फ उनकी चिकित्सा ही पर्याप्त नहीं है। फिर मैं उनकी चिकित्सा के साथ पुनर्वास में भी मदद करने लगी और 2007 में मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक संगठन स्थापित किया। 

आवास की व्यवस्था की 

डॉ. सुछेन्द्रा का कहना है कि अमेरिका से बतौर मनोचिकित्सक लौटकर जब मैंने कोलकाता में काम करना शुरू किया, तो देखा कि कई महिलाओं को उनके परिजनों ने छोड़ दिया था। तब मुझे उनके इलाज और पुनर्वास का ख्याल सूझा। शुरुआत में मैंने कई महिलाओं को अपने साथ रखा। पर जब संख्या बढ़ने लगी, तो मुझे उनके रहने के लिए एक जगह की व्यवस्था करनी पड़ी। मैंने जिबांताला में एक आवास बनवाया, जहां मनोरोगों से ग्रस्त महिलाओं की देखभाल की जाती है। हम उन्हें खुद की देखभाल करना, खाना बनाना, साफ-सफाई, हस्तशिल्प, खेती और पशुपालन का प्रशिक्षण देते हैं, ताकि वे सामान्य जीवन जी सकें। 

परिवार से मिलवाया 

शहर के विभिन्न हिस्सों से बचाव अभियान चलाकर लाई गईं महिलाओं का शुरू में परिवार से संपर्क नहीं हो पाता, क्योंकि वे हमें जानकारी देने में सक्षम नहीं होती हैं। पर जब वे इलाज के बाद सामान्य होती हैं, हमें कुछ विवरण दे पाती हैं, तब हमारे स्वयंसेवक उनके परिवार का पता लगाकर उन्हें सौंपते हैं। अभी हमारे यहां लगभग दो दर्जन महिलाएं हैं, जिनका इलाज चल रहा है। 

नौकरी दिलाने में संगठन कर रहे  मदद

डॉ. सुछेन्द्रा का कहना है कि मैं कई ऐसे संगठनों के संपर्क में हूं, जो इन महिलाओं के ठीक होने के बाद उन्हें नौकरी पाने में मदद करते हैं। जो महिलाएं वापस नहीं जाना चाहती हैं, हम उनके पुनर्वास की व्यवस्था भी करते हैं। अब भी देश में मानसिक रोगों के प्रति जागरूकता की कमी है। कई परिवार ऐसे हैं, जो इस काम में हमारी आर्थिक मदद करते हैं।