कोच्चि के सेंट थेरेसा कॉलेज की फ्रांसीसी प्रोफेसर फैडेट बैडी डी आर्किस ने कोरोना संकट के लॉकडाउन में कोच्चि के आवारा जानवरों को भोजन कराया। ताकि वो भूख से मरे नहीं।
नई दिल्ली। देश की संस्कृति और परंपरा से प्यार केवल देश के ही लोग नहीं करते, विदेशी भी करते हैं। कुछ की तो यहां की मिट्टी से इतनी गहरी दोस्ती हो जाती है कि वो यहां से जा ही नहीं पाते और विदेशी होते हुए भी यहां समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। ऐसी ही एक जिम्मेदार महिला हैं फ्रांस की रहने वाली फैडेट बैडी डी आर्किस। आर्किस कोच्चि के सेंट टैरेसा कॉलेज में प्रोफेसर हैं। कोरोना संकट के दौरान जब लोग सुरिक्षत स्थानों की ओर जा रहे थे, तो ऐसे में आर्किस ने अपने देश न लौटकर भारत में ही रहने का फैसला किया और पूरे लॉकडाउन कोच्चि के आवारा जानवरों को खाना खिलाया।
आर्किस बन चुकी हैं एक मिसाल
कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर में जब सब घरों में कैद थे, तो लाचार और बेघर लोगों के लिए लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया और उनकी मदद भी की, लेकिन अवारा जानवरों की तरफ कम ही लोगों का ध्यान गया। न उनके लिए कहीं खाने की व्यवस्था थी न कोई देखभाल करने वाला था, ऐसे में कुछ लोग आगे आए और इन बेजुबानों को सहारा दिया। ऐसी ही एक फ्रांसीसी महिला हैं फैडेट बैडी डी आर्किस। कोच्चि में रहने वाली आर्किस एक कॉलेज में प्रोफेसर हैं। उन्होंने पूरे लॉकडाउन आवारा जानवरों को सहारा दिया। आर्किस का कहना है कि जब लॉकडाउन में सब कुछ बंद था, तो इन बेजुबानों के विषय में मैंने गंभीरता से सोचा और पाया कि अगर इनको सहारा न दिया गया, तो ये भूख से मर जाएंगे। आर्किस ने पूरे शहर में घूम-घूमकर कुत्तों, बिल्लियों व अन्य अवारा पशुओं को भोजन कराया। उनके इस प्रयास से बेजुबानों को एक सहारा मिला। आर्किस के इस प्रयास की पूरे शहर में चर्चा होने लगी और वो शहर के लिए एक मिसाल बन चुके हैं।
भारत से है बेहद प्यार
छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ उनकी दिनचर्या का एक और अहम हिस्सा है। अवारा जानवरों को खाना खिलाना। वे 2019 में वे कोच्चि आईं थीं। उस समय कोरोना की लहर के कारण लॉकडाउन लगा, तो परिजनों व अन्य लोगों ने आर्किस को वापस घर आने के लिए कहा, लेकिन आर्किस को कोच्चि की संस्कृति और विविधता बेहद पसंद थी, इसलिए उन्होंने तय किया कि वो वापस नहीं जाएंगी। चूंकि लॉकडाउन के कारण कॉलेज बंद थे, तो उन्होंने आवारा जानवरों से दोस्ती कर ली। वे कहती हैं कि “मैं 20 महीने से कोच्चि में रह रही हूं। यहां अपने कार्यकाल से पहले, मैंने फ्रांस, मैक्सिको, भूटान, चीन और थाईलैंड में काम किया। हालांकि सभी स्थान मेरे लिए खास हैं, लेकिन मुझे कोच्चि की संस्कृति और लोग और विविधता बेहद पसंद आई। हालांकि कोविड के बढ़ते मामलों के बीच उन्होंने खुद को यहां सुरक्षित महसूस किया और उन्होंने खुद को यहां रुकने के लिए कहा । लगभग 16 साल पहले उन्होंने फ्रांस छोड़ दिया था और कई देशों में फ्रेंच विदेशी भाषा के शिक्षक के रूप में काम कर चुकी हैं। वो कहती हैं कि अभी माहौल नकारात्मकता भरा है, लेकिन चीजें जल्द सामान्य हो जाएंगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.