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श्रिति पाण्डेय को है सस्ते घर बनाने का जूनून

Published - Fri 05, Mar 2021

स्ट्राक्चर इको स्टार्टअप की फाउंडर श्रिति पाण्डेय अपने स्टार्टअप के माध्यम से सस्ते घर बना रही हैं। देश के लिए कुछ करने के लिए वह अमेरिका से नौकरी छोड़कर भारत लौटी हैं।

Shriti Pandey

नई दिल्ली। अमेरिका जाकर नौकरी करना ज्यादातर भारतीयों का सपना होता है। कुछ का सपना पूरा हो जाता है, तो कुछ का सपना, सपना रह जाता है। कुछ ऐसे युवा भी हैं, जिनका ये सपना पूरा तो हो जाता है, लेकिन देश की मिट्टी की खुशबू और देश सेवा करने का जज्बा उन्हें दोबारा खींच लाता है।इन्हीं लोगों में से एक हैं श्रिति पाण्डेय। देश की सेवा करने की सोच के कारण अमेरिका में अपनी नौकरी छोड़ दी और भारत आकर अपना खुद स्टार्टअप शुरू किया। स्ट्राक्चर इको स्टार्टअप के माध्यम से वह ईको फ्रेंडली सस्ते घर बना रही हैं।

अमेरिका से ली कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट की डिग्री
गोरखपुर की श्रिति ने अमेरिका में रहकर अपनी पढ़ाई की और वहां से कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी करने के बाद वो न्यूयॉर्क की एक कंसल्टेंसी फर्म में काम करने लगीं। अच्छा पैकेज और अच्छी पोस्ट होने के बाद भी उनका यहां मन नहीं लगा और 2016 में वो भारत लौट आईं। यहां आकर उन्होंने एसबीआई यूथ फेलोशिप प्रोग्राम ज्वाइन किया और गांवों में जाकर काम करना शुरू किया।
ऐसे शुरू हुआ स्टार्टअप
यहां काम करने के दौरान उन्हें लगा कि वो अपनी योगयता का पूरी तरह उपयोग नहीं कर पा रही हैं और उनके मन में आया कि क्यों न अपना स्टार्टअप शुरू किया जाए। ऐसा स्टार्टअप जिसमें लोगों को सस्ते ईको फ्रेंडली घर बेहतर स्ट्रक्चर के साथ बनाकर दिए जाएं। और इसी आइडिया पर काम करते हुए उन्होंने स्टार्टअप की शुरुआत की। अपने इको स्टार्टअप के लिए उन्होंने अपनी जन्मस्थली गोरखपुर को चुना और यहां युवाओं की एक टीम बनाई। ये टीम लोगों को इको फ्रेंडली सस्ते घर बनाने की दिशा में कर कर रही थी। स्टील के स्ट्रक्चर और फसल के बाद बचने वाले भूसे से तैयार कम्प्रेस्ड ऐग्री-फाइबर के पैनल्स का उपयोग करना शुरू किया।
चार हफ्तो में तैयार होता है घर
उनकी टीम अपने काम में इतनी माहिर है कि मात्र चार हफ्तों में घर बनाकर तैयार कर देती है। उनका मकसद फसल के अवशेषों का सही उपयोग करना है, जिससे पर्यावरण को भी लाभ मिल सके। उनकी कंपनी का यूरोपियन कंपनी ईकोपैनली के साथ स्टार्टअप हेतु एक करार भी है। शुरुआत में निवेशकों को उनके आइडिया में दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे उनको ऑर्डर मिलने लगे। श्रिति आगे आने वाले समय में किसानों को भी अपने इस प्लान के साथ जोड़ना चाहती हैं। क्योंकि किसान एक एकड़ जमीन के बरारि भूसे 25 से तीस हजार रुपये तक कमा सकता है।  वो भविष्य में अपने इस स्टार्टअप द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना का हिस्सा बनकर 2022 तक सभी को अपना आवास उपलब्ध कराने के लक्ष्य में सरकार का सहयोग करना चाहती है।
मिल चुके हैं कई पुरस्कार
श्रिति के इस प्रयास को देखते हुए उन्हें यूएन के द्वारा 22 यूथ असेंबली में इम्पैक्ट चैलेन्ज पुरस्कार, यूपी स्टार्टअप कॉन्क्लेव में दूसरा स्थान भी मिल चुका है। उनके स्टार्टअप को यूपी के स्टार्टअप कॉन्क्लेव और बूटस्ट्रैप कंपनी से फंडिंग भी प्राप्त हो चुकी है। इसके अलावा उनके इस स्टार्टअप को अटल इन्क्यूबेशन सेंटर, आईआईएम बंगलुरू वीमेन स्टार्टअप और वनस्थली विद्यापीठ से भी सपोर्ट प्राप्त है।