अमेरिका के मिसौरी में रहने वाली गाबी शुल आज नारी शक्ति के लिए मिसाल हैं। अपने हुनर के दम पर उन्होंने अपनी पहचान बनाई है।
नई दिल्ली। छोटी उम्र में बड़े-बड़े काम करने का जज्बा हर किसी में नहीं होता। खासकर अगर आप किसी परेशानी से परेशान हैं, तो बिल्कुल आप इससकी कल्पना नहीं कर सकते, लेकिन अमेरिका के मिसौरी की रहने वाली गाबी गुल ने जीवन को नजदीक से जाना और समझा की दुनिया को अपना दर्द नहीं, हुनर दिखाना होगा और आज वो महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं।
गाबी शुल ने छोटी-सी उम्र में जिन्दगी को और सफलता पाने के रास्ते को अच्छी तरह से समझा। गाबी जब 9 साल छोटी सी उम्र मे थी, उस समय उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारी से जूझना पड़ा। उन्हें अपना दाहिना पैर गंवाना पड़ा। वह अपना जीवन बिस्तर पर नहीं बिताना चाहती थी, जीवन मे कुछ करने के लिए उन्होने हिम्मनत दिखाई ओर कैंसर जैसी घातक बिमारी को भी मात दे दी। रोटेशन प्लास्टिक सर्जरी करवाई और चलने में सक्षम बनीं। इसके बाद उन्होंने बैले डांस की प्रैक्टिस शुरू की और आज वो एक अच्छी बैले डांसर हैं। उनका हौसला और आत्मविश्वास देखकर लोग प्रेरणा लेते हैं।
नहीं मानी हार
बचपन में जब गाबी को पता चला कि उन्होंने कैंसर है और उनका एक पैर काटना पड़ेगा, तो गाबी ने हार नहीं मानी। उन्होंने हौसला दिखाया। उन्होंने सबकुछ सहा लेकिन हिम्मत नहीं हारी। वो जब लंबे उपचार के बाद ठीक हुईं, तो कन्टेम्पररी, हिप-हॉप, जैज, टैप, और लिरिकल डांस की क्लासेस लेना शुरू किया और आज वो इस तरह के डांस में महारथ हासिल कर चुकी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.