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गीतिका ने संवारी पहाड़ के स्कूलों की सूरत

Published - Fri 12, Jun 2020

अल्मोड़ा में बतौर डिप्टी एजुकेशन ऑफिसर गीतिका जोशी पहाड़ के स्कूलों की सूरत बदलना चाहती हैं और अपने इस प्रयास में वो अब तक 57 स्कूलों का कायापलट कर चुकी हैं।

देहरादून। पहाड़ पर स्कूलों की हालात कैसी है ये सभी जानते हैं। कठिन परिस्थितयों में शिक्षक यहां पढ़ाने जाते हैं, लेकिन दूरदराज इलाकों में होने के कारण इनको वो सुविधाएं नहीं मिल पातीं,जो मैदान के स्कूलों को मिलती हैं। लेकिन गीतिका जोशी जैसे अफसर अगर ठान लें कि उन्हें स्कूलों की सूरत बदलनी हैं, तो ये काम मुश्किल नही है। गीतिका के साथ घटी एक घटना ने उन्हें ऐसा करने की मजबूर दिया। दरअसल वो एक सरकारी स्कूल का मुआयना करने गईं थीं। वहां पहुंचकर उन्होंने देखा कि बच्चे ठंड में बैठे हैं। उन उनके बैठने की व्यवस्था है और न ही ठंड से बचाने की। स्कूल की इमारत भी बुरी तरह जर्जर हो चुकी है। ये देखकर वो हैरान रह गईं और अंदर ही अंदर उनका मन उन्हें कचोटने लगा। गीतिका ने सोचा कि सरकारी खर्च पर तो स्कूल की मरम्मत का काम देरी से होगा। बस फिर क्या था, गीतिका ने स्कूल की मरम्मत के लिए जो कदम उठाया, वो काबिल तारीफ था।
खुद अपने खर्च पर कराई मरम्मत
गीतिका ने साल 2015 में अपने खर्च पर स्कूल की मरम्मत का काम कराया और स्कूल के टीचरों को भी सलाह दी कि वो अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा स्कूल की देखभाल में खर्च करें, क्योंकि ये स्कूल ही उनकी कमाई का जरिया हैं। उनकी नसीहत को शिक्षकों ने भी माना और अपने स्कूल में छोटे-मोटे कामों को वो अपने खर्च पर ही कराने लेगे और धीरे-धीरे स्कूलों की दिशा और दशा सुधरने लगी।

57 स्कूलों को संवारा
गीतिका ने अपने इस प्रयास से उत्तराखंड के 57 स्कूलों को सही कराया है। गीतिका स्कूलों को सुधारने के लिए एक कार्यक्रम भी चला रही हैं, जिसका नाम रूपांतरण है। उनके इस प्रयास को देखते हुए रानखेत की विधायक करण माहरा ने गीतिका को 24 लाख रुपये की राशि प्रदान की। आज उनकी बदौलत ही अल्मोड़ा के कई स्कूलों की हालत सुधर चुकी है। लोग उनके इन प्रयासों से बेहद खुश हैं और जब भी मौका मिलता है, गीतिका को मदद पहुंचाने में पीछे नहीं हटते हैं।