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केरल के हवा बीच को साफ करने के लिए 25 साल से भारत आ रहीं जर्मन पर्यटक ओलेस्लेगर

Published - Thu 05, Mar 2020

दुनिया के कई साफ-सुथरे बीच की सूरत आज समुद्र की लहरों के साथ बहकर आने वाले कचरे से बिगड़ चुकी है। इससे पर्यावरण प्रेमी काफी परेशान हैं। केरल के हवा बीच की हालत भी इससे कुछ अलग नहीं है। ऐसे में यहां के प्रदूषण से निपटने के लिए जर्मनी की रहने वाली गेब्रियल ओलेस्लेगर ने अभियान चलाया और लोगों को जागरूक किया। वह 25 साल से लगातार केरल आकर लोगों को जागरूक कर रही हैं और समुद्र से बहकर आए कचरे को रिसाइकिल कर रही हैं।

 Gabriele Oelschlager

नई दिल्ली। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से आज पूरी दुनिया चिंतित है। ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। शहरों में कचरे के अंबार लग रहे हैं। कर्बन गैसें ओजोन की परत को छलनी कर रही हैं। समुद्र भी प्रदूषण और कचरे की मार से अछूते नहीं हैं। दुनिया के कई साफ-सुथरे बीच की सूरत आज समुद्र की लहरों के साथ बहकर आने वाले कचरे से बिगड़ चुकी है। इससे पर्यावरण प्रेमी काफी परेशान हैं। बीच की खूबसूरती को बचाने के लिए ये पर्यावरण प्रेमी समय-समय पर सफाई अभियान चला रहे हैं। लेकिन लोगों में जागरुकता के अभाव के कारण प्रदूषण के स्तर में कोई कमी नहीं आ रही है। प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करने का ऐसा ही बीड़ा उठाया है जर्मनी की रहने वाली गेब्रियल ओलेस्लेगर ने। ओलेस्लेगर तकरीबन 25 साल पहले पहली बार केरल घूमने आईं। यहां का हवा बीच उन्हें काफी पसंद आया। उनके मुताबिक यह दुनिया के सबसे खूबसूरत बीच में से एक है। इसकी सुंदरता शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। हवा बीच की खूबसूरती से प्रभावित ओलेस्लेगर दूसरे साल जब केरल घूमने आईं तो हैरान रह गईं। बीच पर समुद्र की लहरों के साथ बहकर आए कचरे के जगह-जगह ढेर लगे हुए थे। यह देख वह हैरान रह गईं। उन्होंने आसपास के लोगों से इस बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि इस कचरे को साफ तो किया जाता है, लेकिन कुछ ही दिनों में हालात फिर पहले जैसे हो जाते हैं। इस दौरान ओलेस्लेगर ने महसूस किया कि यहां के लोगों में बीच की सफाई को लेकर जागरुकता का भी काफी अभाव है। फिर क्या था उन्होंने यहां के लोगों को जागरूक करने और बीच को पहले जैसे साफ-सुथरा करने का बीड़ा उठा लिया। ओलेस्लेगर पिछले 25 साल से हर साल केरल आती हैं और लोगों को जागरूक करने के साथ बीच की सफाई भी करती हैं।   

 

 
स्थानीय लोगों के लिए जाना-पहचाना चेहरा हैं गेब्रियल ओलेस्लेगर

 

गेब्रियल ओलेस्लेगर के मुताबिक मैं कोवलम पिछले 25 वर्षों से लगातार आ रही हूं। इस कारण यहां के स्थानीय लोगों के लिए मैं जाना-पहचाना चेहरा हूं। कई वर्षों की लगातार यात्रा के दौरान मैंने देखा कि यहां कचरे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इससे निपटने के लिए मैंने एक अभियान शुरू किया। इसमें स्थानीय लोगों का भी सहयोग मिल रहा है। गेब्रियल ओलेस्लेगर का बर्लिन में एक आर्ट स्टूडियो है। उन्होंने बीच पर मिले कचरे से तैयार आइटम की प्रदर्शनी लगाई है। इसमें फिशिंग बोट के टुकड़े, प्लास्टिक बोतल और कंटेनर जैसी चीजें शामिल हैं। इस प्रदर्शनी को देखने के लिए पर्यटकों के साथ बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी पहुंचे। आज सभी ओलेस्लेगर के प्रयास की काफी सराहना कर रहे हैं।

केरल के लोगों ने ही की थी पहल

गेब्रियल ओलेस्लेगर के मुताबिक एक दिन मैं बीच पर घूमने के बाद आस-पास की दुकानों पर बैठी थी। तभी कुछ स्थानीय लोग मेरे पास आए और कुछ देर बातचीत करने के बाद मुझसे कचरे की समस्या से निपटने के बारे में राय मांगी। मैंने इस बारे में दिलचस्पी दिखाई तो उन्होंने मुझसे सहयोग मांगा। कुछ देर सोचने के बाद मैंने भी हामी भर दी। बीच की सफाई की कार्ययोजना बनाने के दौरान एक दिन एक छात्र ने ओलेस्लेगर को कचरे को रिसाइकिल करने वाले इनसिनेरेटर के बारे में बताया। उन्हें लगा कोवलम के लिए इनसिनेरेटर लगाना ठीक ही होगा। यह एक कचरा जलाने वाली भट्‌टी है। कोरियन-जर्मन टेक्नोलॉजी बेस इस भट्‌टी में कचरा जलाने पर प्रदूषण नहीं होगा। इसके बाद मैं वापस जर्मनी गई और कोवलम में इनसिनेरेटर लगाने की योजना बनाई।

इनसिनेरेटर के लिए निवेशक की तलाश

गेब्रियल अपने इस अभियान को लेकर काफी उत्साहित हैं। उनको लगता है कि इस प्रयास से कोवलम पूरे देश में एक मॉडल बीच बनेगा। गेब्रियल ओलेस्लेगर के मुताबिक वह टेक्निकल एक्सपर्ट नहीं हूं, इसलिए पहले प्रेजेंटेशन के लिए एक एक्सपर्ट को बुलाया है। उन्हें निवेशक की भी तलाश है। एक बार मैं जर्मनी पहुंच जाऊं तब मैं इस पर भी काम करूंगी। कोवलम में रेस्टोरेंट चलाने वाले यूसुफ ने बताया, यह सही दिशा में उठाया गया कदम है। इससे पर्यटकों को बढ़ावा मिलेगा।