गुजरात पुलिस में कांस्टेबल सुनीता यादव ने कर्फ्यू का उल्लंघन करने वाले गुजरात के लड़कों को न केवल सबक सिखाया, बल्कि मंत्री के धमकाने के बाद भी नहीं मानी। मंत्री के बेटे ने धमकी दी तो उसे समझाया कि वर्दी तुम्हारे बाप की दी हुई नहीं है, न तुम्हारी गुलामी के लिए है। सुनीता यादव ने दिखा दिया कि फर्ज से बड़ा कुछ नहीं है।
नई दिल्ली। इन दिनों गुजरात में कोरोना पूरे चरम पर है। ऐसे में पुलिस, स्वास्थ्यकर्मी लॉकडाउन का पालन कराने के लिए अपनी जान की बाजी लगाकर काम कर रहे हैं और लोगों को समझा रहे हैं कि घर में रहें, तो ज्यादा सुरक्षित हैं, लेकिन लोग मान नहीं रहे। खासकर ऊंचे रसूख वाले लोग तो नियमों को तोड़ना अपनी शान समझते हैं। लेकिन अपने फर्ज को पूरी ईमानदारी से निभाने वाले लोगों के लिए रसूख अहमियत नहीं रखता। अहमियत रखता है, तो अपना फर्ज। कुछ ऐसा ही गुजरात में देखने को मिला। हाल ही में गुजरात में कोरोना संकट के कारण रात्रि कफ्यू लगा हुआ था, इसी बीच वराछा में सुनीता यादव नाम की एक कांस्टेबल अपनी ड्यूटी पर थीं। उन्होंने देखा कि एमएलए लिखी एक कार में कुछ लड़के कर्फ्यू का उल्लंघन कर रहे हैं। सुनीता ने उन लड़कों को रोका, तो पाया कि उन लड़कों ने न मास्क पहन रखा था और न ही वो नियमों का पालन कर रहे थे। रोके जाने पर युवकों ने स्वास्थ्य राज्यमंत्री के बेटे प्रकाश को बुला लिया। मौके पर पहुंचे राज्यमंत्री के बेटे ने कांस्टेबल का धमकाना शुरू किया। सुनीता ने प्रकाश को भी पकड़ लिया। इसी बीच मंत्री कुमार कानाणी ने फोन कर सुनीता को धमकाना शुरू किया, लेकिन सुनीता फर्ज से पीछे नहीं हटीं। काफी बहस भी हुई। मंत्री के बेटे प्रकाश ने सुनीता को 365 दिन सड़क पर खड़े रहने की ड्यूटी लगवा देने की धमकी दी। इस पर सुनीता भड़क गईं और बोलीं- पुलिस की यह वर्दी तुम्हारे बाप की गुलामी करने के लिए नहीं पहनी है। औकात हो तो करवा देना मेरा ट्रांसफर गांधीनगर।
सुनीता ने उतरवा ली एमएलए लिखी प्लेट
सुनीता यादव ने जिन लड़कों को रोका था, उनकी कार पर एमएलए लिखी प्लेट लगी थी। सुनीता ने सबसे पहले उसे उतरवाया और फिर मंत्री को फोन लगाया। मंत्री ने उल्टा सुनीता को ही धमकाना शुरू कर दिया। सुनीता जब नहीं मानी, तो मंत्री बैकफुट पर आ गए और सुनीता को बहन बोलकर माफी मांगने लगी और मंत्री कुमार कानाणी कहने लगे कि बेटा बीमार रिश्तेदार की मदद के लिए गया था।
निडर सुनीता
मंत्री और सुनीता के बीच की बहस का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें सुनीता को कहते सुना जा सकता है कि अफसरों पर नेताओं का हाथ, वरना तुम सबका हिसाब कर देती। तुम्हारे जैसे नेता रोज आते हैं, जाते हैं। इसलिए सत्ता को अपनी ताकत मत समझना। सुनीता ने साफ कहा कि गुजरात पुलिस ने उन्हें पावर दी है कि तुम जैसे लोगों को सीधा करूं। वर्दी को धमकाने का हक तुम्हें नहीं है। ऑन ड्यूटी पुलिसकर्मी पर दबाव मत बनाना भारी पड़ेगा। सुनीता ने लड़कों को साफ कहा कि डीजीपी नहीं प्रधानमंत्री तक पहुंचने की औकात है मेरी। थोड़ी सी पावर और होती, तो तुम्हारी हड्डी तोड़ देती।
अफसरों से भी भिड़ीं
जब ये सारा वाकया हुआ, तो सुनीता ने वराछा पीआई और एसीपी को सूचना दी। अफसरों ने उनसे कहा कि तुम्हारी ड्यूटी तो हीरा बाजार में थी, कर्फ्यू संभालने की नहीं, तो इस पर सुनीता ने साफ कहा कि रात को 10 बजे के बाद कर्फ्यू है तो किसी को कैसे आने-जाने दें। यह भी तो पुलिस की ड्यूटी है।
हारी नहीं मानी, दिया इस्तीफा
जब अफसर और मंत्री सुनीता पर दबाव बनाने लगे, तो सुनीता ने वरिष्ठ अफसरों के सामने इस्तीफ की पेशकश की और घर लौट आईं। फिलहाल उनका इस्तीफा तो मंजूर नहीं हुआ, उनका ट्रांसफर पुलिस मुख्यालय कर दिया गया। मामले की जांच के आदेश कमिश्नर ने दे दिए हैं।
सोशल मीडिया पर चली मुहिम, बताया असली सिंघम
इस प्रकरण के बाद राजनीति के गलियारों में हलचल मच गई हैं, वहीं सोशल मीडिया पर सुनीता के समर्थन में लोग आ गए हैं। लोग उन्हें असली सिंघम बता रहे हैं। सुनीता के समर्थन में इंडियन पुलिस फाउंडेशन के लोग, राजनेता, सेलिब्रिटी तक हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.