राजस्थान की प्रसिद्ध नृत्यांगना गुलाबो सपेरा ने कालबेलिया नृत्य को न सिर्फ देश-विदेश में पहचान दिलाई है, बल्कि एक मरती हुए कला को भी दोबारा जीवित किया है।
नई दिल्ली। उम्र बढ़ने के साथ अक्सर लोग आराम करने की सोचते हैं, लेकिन गुलाबो ने बढ़ती उम्र में कुछ और ही करने की ठानी। सपेरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली गुलाबो ने कालबेलिया नृत्य पर काम किया और आज उनकी पहचान विदेशों में भी होती है। इस नृत्य के दम पर वो कई अवार्ड भी पा चुकी हैं। गुलाबो कालबेलिया डांसर हैं, उन्होंने देश-विदेश में कालबेलिया नृत्य को ख्याति दिलाई है। उनके परिवार में कई पीढ़ियों से कालबेलिया डांस किया जाता रहा है। ये डांस एक तरह के सांप के जैसे थिरकना ही होता है, जब सामने वाला शख्स बीन बजाता है तो उस धुन पर महिला सांप की तरह लहराती-बलखाती हुई नाचती है।
विरासत में मिला नृत्य
सपेरा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली गुलाबो को ये डांस विरासत में मिला। बचपन में वो अपने पिता के साथ ये लोक नृत्य करती थीं। दस साल की उम्र में पहली बार उन्होंने एक बड़े मंच पुष्कर मेले में कालबेलिया डांस प्रस्तुत किया। राजस्थान के एक अधिकारी उनका नृत्य देखकर काफी प्रभावित हुए और गुलाबो को मदद देकर इस नृत्य को देश-दुनिया तक पहुंचाना शुरू किया। सरकारी मदद मिली, तो गुलाबो ने विदेशों में जाकर कला का प्रदर्शन शुरू किया। कई वॉलीवुड फिल्मों में भी वो अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी हैं। इसके अलावा रियलिटी शो बिग बॉस 5 में बतौर कंटेस्टेंट भी हिस्सा ले चुकी हैं।
पद्मश्री से हो चुकी हैं सम्मानित
गुलाबो को अपनी कला के कारण 2016 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था। अब इनकी बेटी राखी सपेरा भी उनकी कला को आगे ले जा रही हैं। वो राजस्थानी फिल्मों में भी कालबेलिया डांस की प्रस्तुती दे चुकी हैं। देश व राज्य स्तर पर भी गुलाबो को कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
गुलाबो जी का सपना है कि वो राजस्थान की इस लोककला को आगे की पीढ़ी को सौंपें। इसके लिए वो एक डांस एकेडमी खोलने का सपना देख रही हैं, इस दिशा में प्रयास जारी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.