लॉकडाउन के दौरान बच्चों को महामारी से बचाने के लिए स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस शुरू की हैं। लेकिन संसाधनों के अभाव में गरीब बच्चों के लिए इन क्लासेस को अटेंड कर पाना आसान नहीं है। किसी के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं, तो किसी के पास लैपटॉप खरीदने के पैसे नहीं हैं। ऐसे गरीब बच्चों की मदद के लिए आगे आईं हैं चेन्नई के पुलिस कमिश्नर की बेटी गुनीशा अग्रवाल। कक्षा 12वीं में पढ़ने वाली 17 वर्षीय गुनीशा अब तक 40 गरीब बच्चों को स्मार्ट फोन और लैपटॉप मुफ्त में मुहैया करा चुकी हैं।
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के कारण इस साल स्कूल सात महीने से बंद हैं। अब कुछ राज्यों ने तमाम शर्तों के साथ 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोलने की इजाजत दी गई है। लॉकडाउन के दौरान बच्चों को महामारी से बचाने के लिए स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस शुरू की थीं। ये अनलॉक-5 के बाद भी जारी हैं। लेकिन संसाधनों के अभाव में गरीब बच्चों के लिए इन क्लासेस को अटेंड कर पाना आसान नहीं है। किसी के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं, तो किसी के पास लैपटॉप खरीदने के पैसे नहीं हैं। नेटवर्क और बिजली कटौती की समस्या तो है ही। ऐसे गरीब बच्चों की मदद के लिए आगे आईं हैं चेन्नई के पुलिस कमिश्नर की बेटी गुनीशा अग्रवाल। कक्षा 12वीं में पढ़ने वाली 17 वर्षीय गुनीशा अब तक 40 गरीब बच्चों को स्मार्ट फोन और लैपटॉप मुफ्त में मुहैया करा चुकी हैं। गुनीशा ने इसे मुहिम बना दिया है। उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा जरुरतमंदों तक वह इस तरह की मदद पहुंचा सकें, ताकि उनकी पढ़ाई बाधित न हो।
मां से मिली मदद की प्रेरणा
गुनीशा अग्रवाल चेन्नई पुलिस कमिश्नर महेश कुमार अग्रवाल की बेटी हैं। वह कक्षा 12वीं की छात्रा हैं। गरीब बच्चों को स्मार्ट फोन और लैपटॉप मुफ्त में देने की प्रेरणा गुनीशा को अपनी मां से मिली। गुनीशा ने लॉकडाउन के दौरान एक दिन देखा कि उनकी मां अपने यहां काम करने वाली महिला की बेटी को लैपटॉप दे रही हैं। साथ ही यह भी कह रही हैं कि खूब मन लगाकर पढ़ना और ऑनलाइन क्लासेस मिस मत करना। गुनीशा ने इस बारे में मां से पूछा तो उन्होंने बताया कि लैपटॉप न होने के कारण यह गरीब बच्ची अपनी ऑनलाइन क्लासेस मिस कर रही थी। जिससे वह पढ़ाई में पिछड़ती जा रही थी। यह बात गुनीशा के मन में घर कर गई। उसने फैसला कर लिया कि अपनी मां की तरह वह भी गरीब-जरुरतमंद बच्चों की मदद करेगी।
यूज्ड लैपटॉप-मोबाइल एकत्र कर शुरू किया बांटना
गुनीशा ने गरीब बच्चों की मदद का फैसला तो कर लिया, लेकिन स्मार्ट फोन और लैपटॉप के लिए रकम जुटाना एक बड़ी समस्या थी। ऐसे में गुनीशा ने अपने कुछ दोस्तों से बात की तो पता चला कि जितने में वह एक नया लैपटॉप या मोबाइल खरीदेगी उतने में दो से तीन यूज्ड मोबाइल या लैपटॉप आ जाएंगे। इस काम के लिए गुनीशा ने अपने पैरेंट्स से मदद मांगी तो वे भी तैयार हो गए। इसके बाद गुनीशा ने शहर के एक बाजार के बारे में पता किया जहां ऐसे यूज्ड मोबाइल-लैपटॉप मिलते हैं। यहां से इन सामानों को खरीदकर गुनीशा ने गरीब बच्चों को इन्हें बांटने की शुरुआत की। जरुरतमंद छात्रों की मदद करने के लिए गुनीशा ने एक वेबसाइट भी बनाई है।
मदद के लिए आगे आ रहे लोग
गुनीशा के इस नेक काम के बारे में जैसे-जैसे लोगों को जानकारी हो रही है, वे मदद के लिए आगे आ रहे हैं। चेन्नई और इसके आसपास के क्षेत्र के ऐसे कई लोग अपने यूल्ड मोबाइल और लैपटॉप डोनेट कर रहे हैं। आईटी कंपनी, थिंकफिनिटी एंड कंसल्टिंग भी गुनीशा के साथ इस मुहिम में जुड़ गई है। इस कंपनी ने गुनीशा के लिए एक वेबसाइट फ्री में बनाई है। कंपनी के मुताबिक इस तरह की वेबसाइट बनाने के लिए वह औरों से 50 हजार रुपये तक लेती है, लेकिन बच्ची नेक काम कर रही है, इसलिए उससे कोई रकम नहीं ली गई है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.