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बर्थ डे गिफ्ट में मिली जमीन से मार्डन किसान बन गईं हर्षिका

Published - Sun 12, Jan 2020

गुजरात की हर्षिका ने किसानी कहीं से सीखी नहीं है। बस हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए शौकिया किसानी शुरू की और आज वो बिजनेस और जॉब के साथ खेती भी कर रही हैं।

harsika

नई दिल्ली। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहतमंद रहना सबसे मुश्किल है। बाजारवादी संस्कृति में खानपान भी मिलावट से भरपूर है। हैरानी की बात ये है कि फल-सब्जियां भी इससे अछूते नहीं हैं। इनमें भी केमिकल का उपयोग होता है। युवा सेहत के प्रति जागरुक तो हैं, लेकिन हेल्दी कैसे खाएं ये सबसे बड़ी मुश्किल है। क्योंकि आज के समय में सेहतमंद फल-सब्जी, अनाज आदि मिलना मुश्किल है। सभी की खेती में रसायनों का उपयोग होता है। गुजरात की रहने वाली हर्षिका को भी अपनी सेहत की चिंता थी। वैसे तो हर्षिका रियल एस्टेट के बिजनेस में थीं, लेकिन बिजनेस से अलग उन्हें अपना एक फिटनेस क्लब द पिलेट्स स्टूडियो भी शुरू किया।
खुद उगाने लगीं अपनी साग-सब्जियां
हर्षिका का मकसद हेल्दी फ्रूटस एंड वेजिटेबल प्राप्त करना था। हर्षिका ने अपने घर में इस्तेमाल करनेके लिए साग-सब्जियां उगाना शुरू किया। हर्षिका को उनके जन्मदिन पर परिवार ने पांच बीघा जमीन दी थी। इस जमीन पर हर्षिका ने खेती का पहला प्रयास शुरू किया। इससे पीछे उनकी मशां एकदम साफ थी कि वो जो खाना खाएं वो पेस्टिसाइड और केमिकल फ्री हो। इसके लिए वो सोचती थीं कि क्यों न वो खुद पेड़-पौधे लगाना शुरू करें और साग-सब्जी और फल उगाएं। इसी सोच के साथ उन्होंने ये कदम उठाया। हालांकि किसानी का पहले उनके पास कोई अनुभव नहीं था, तो भी उन्होंने इसे शुरू किया। उनके पास जो जमीन थी, उसमें आधे बीघा में बाग और साढ़े चार बीघा में साग-सब्जी, फल आदि लगाए।

परिवार और रिश्तेदारों में बांटती हैं सब्जियां
हर्षिका अपने फार्म में मौसमी फल और सब्जियां उगाती हैं। वो जो भी अपने फार्म में उगाती हैं, उसे बेचती नहीं हैं। सब अपने परिवार, रिश्तेदार और दोस्तों में बांट देती हैं। वो इस तरह से खेती करती हैं कि परिवार को पूरे मौसम में बाहर से साग-सब्जी न खरीदनी पड़े।

जैविक खाद खुद बनाती हैं हर्षिका
हर्षिका जैविक कृषि करती हैं और जैविक खाद भी खुद ही बनाती हैं। उनकी फार्म में जो एग्रो-वेस्ट निकलता है, उसे वो फार्म में बने गड्ढों में डालकर खाद बनाती हैं और उसे ही खेती में इस्तेमाल करती हैं। इसके अलावा, वे गोबर और गोमूत्र का इस्तेमाल भी कृषि के जैविक उत्पाद बनाने के लिए करती हैं। जॉब और बिजनेस के साथ ही वो अपनी हॉबी के लिए समय जरूर निकालती हैं। टाइम मैनेज करती हैं और रोजाना खेती में कुछ समय बिताती हैं।

शुरुआत थी मुश्किल
पहले उन्हें पता नहीं था कि खेती कैसे की जाती है। पहले साल ऐसे ही बीता, लेकिन दूसरे साल कुछ-कुछ अनुभव हुआ, तो वो निपुण हो सकीं। उनके इस प्रयास में परिवार ने सपोर्ट किया। शादी के बाद ससुराल की ओर से भी सपोर्ट मिला और सबने उनके इस काम और हौसले को सराहा। शुरुआत में विफलताएं जरूर मिलीं, लेकिन फिर धीरे-धीरे स्थिति सुधरती गई। टाइम-मैनेजमेंट के बारे में वे कहती हैं कि एक बार लगता है कि आप नहीं कर पाएंगे। लेकिन आपको ट्राई करना चाहिए। अगर 10 में से 5 बार आप फेल हुए हैं तो अगली पांच बार आपकी सफलता के चांस भी तो हैं। इसलिए हारना नहीं हैं। बस एक बार स्टार्ट करें क्योंकि फिर ज़िम्मेदारी के साथ आप सब कुछ सम्भाल लेते हैं। आज वो सफलतापूर्वक इस काम को अंजाम दे रही हैं और जॉब-बिजनेस के साथ खेती भी कर रही हैं।