पढ़ाई के तुरंत बाद हिमा की शादी और फिर तलाक ने उनकी जिंदगी में अंधकार भर दिया। लेकिन वह हार मानने वालों में से नहीं थीं। फिर जब उन्हें लगा कि पेंटिंग के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना है, तो उन्होंने कॉफी के कचरे से पेंटिंग बनानी शुरू की।
लड़कियों के लिए शिक्षा क्यों जरूरी है यह हैदराबाद की हिमा बिंदू से सीखा जा सकता है। 50 वर्षीय हिमा कॉफी के कचरे से बने काढ़े से पेंटिंग का काम करती हैं। आज हिमा कॉफी पेंटिंग के क्षेत्र में एक जाना माना नाम हैं। लेकिन उनकी जिंदगी बहुत मुश्किलों भरी रही।
जब उनका जन्म हुआ तो परिवार वाले बहुत दुखी हुए कि बेटी पैदा हो गई। कंप्यूटर साइंस में स्नातक करने के बाद वह आगे नहीं पढ़ सकी, क्योंकि एक एनआरआई से उनका विवाह कर दिया गया। जो उनसे 10 साल बड़ा था। उनकी शादी भी ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकी। घरेलू हिंसा के चलते 9 महीने में वह भारत लौट आई और फिर कभी न जाने का फैसला किया। उनके ससुराल वालों ने इन 9 महीने में उन्हें तीन बार जान से मारने का प्रयास किया। भारत लौटने के बाद उन्होंनं कम्प्यूटर अप्लिकेशन में डिप्लोमा किया। इसके साथ-साथ उस्मानिया विश्वविद्यालय, तेलंगाना से एमबीए किया। इसके बाद उन्हें जर्मन बेस्ड एक एमएनसी कंपनी में नौकरी मिल गई। इस तरह उन्होंने शिक्षा की दम पर इस समाज में अपनी एक पहचान बनाई।
हमारे देश में घरेलू हिंसा के मामले आम हैं। हर जगह देखने को मिल जाते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है लड़कियों का कम पढ़ा लिखा होना और समाज में उनकी इस तरह की परवरिश कि उन्हें तो बस पति की सेवा करनी है। हिमा अगर पढ़ी लिखी नहीं होती तो शायद उन्हें घरेलू हिंसा में ही अपनी जिंदगी बितानी पढ़ती। उनके अंदर जो पेंटिंग का टेलेंट था वह भी सायद समने नहीं आ पाता। लेकिन उन्होंने शिक्षा और हुनर के दम पर इस दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। आज ये दुनिया उन्हें उनके पति या परिवार की वजह से नहीं बल्कि उनके हुनर की वजह से पहचानती है।
समर कैंप में पेंटिंग सीखने का मौका मिला
हिमा बिंदू जिस कंपनी में नौकरी करती थी उसी की सीएसआर गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया। एचआईवी-एड्स रोगियों और नेत्रहीन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोमबत्तियां और पेपर बैग बनाना सिखाया। उन्हें एक समर कैंप में पेंटिंग सिखाने का मौका मिला। जब रंग सामग्री में मिट्टी और अलसी के तेल की तीखी गंध से उन्हें सांस लेने में समस्या हुई, तो उन्होंने कॉफी के कचरे से बने काढ़े के साथ पेंटिंग शुरू की। फिर स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपना पूरा समय पेंटिंग को समर्पित कर दिया। इस काम में उनका कई लोगों ने सहयोग किया। इसके बाद उन्होंने विभिन्न शैलियों में पेंटिंग बनानी शुरू कर दी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.