पिता के अंतिम संस्कार में शामिल ना होकर लालरेमसियामी का फाइनल खेलने का फैसला एक मिसाल बन गया। टूर्नामेंट के फाइनल में भारत की ओर से पहला गोल कप्तान रानी रामपाल ने तीसरे मिनट में ही कर दिया था।
नई दिल्ली। लालरेमसियामी का दिल रो रहा था, लेकिन उसे देश को जीत दिलानी थी और साथ ही वह इस जीत से अपने उस पिता को गर्व महसूस कराना चाहती थी जो कुछ घंटों पहले ही उसे छोड़कर इस दुनिया से जा चुके थे।
23 जून 2019 को उस दिन रविवार था। जापान के हिरोशिमा शहर में मेजबान टीम के साथ भारतीय महिला हॉकी टीम एफआईएच वुमन्स सीरीज फाइनल्स टूर्नामेंट खेला और खिताब अपने नाम किया। इससे पहले भारत ने पहले 4-2 से चिली को हराया था। फिर फाइनल में जापान को 3-1 से मात दी। लेकिन इस टूर्नामेंट में सबसे चौकाने वाली बात जो रही वह भारतीय हॉकी टीम की 19 साल की खिलाड़ी लालरेमसियामी का खेलना। मिजोरम की इस खिलाड़ी ने हिरोशिमा में एफआईएच वूमेन सीरीज फाइनल को खेलने का निश्चय ऐसे समय में किया जब उनके पिता का देहांत हो गया। वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाईं।
मैच की जीत पिता को समर्पित
पिता के अंतिम संस्कार में शामिल ना होकर लालरेमसियामी का फाइनल खेलने का फैसला एक मिसाल बन गया। टूर्नामेंट के फाइनल में भारत की ओर से पहला गोल कप्तान रानी रामपाल ने तीसरे मिनट में ही कर दिया था। इनके अलावा दो गोल गुरजीत कौर ने किए। भारतीय टीम की कैप्टन रानी रामपाल ने मैच की जीत को लालरेमसियामी के पिता को समर्पित किया।
खेल मंत्री ने की तारीफ
इस जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय महिला टीम को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया- असाधारण खेल, शानदार परिणाम। वहीं, केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू ने भी ट्वीट के जरिए लालरेमसियामी के मैच खेलने के फैसले की सराहना की। उन्होंने लिखा, 'भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ी लालरेमसियामी के पिता का निधन हो गया। इस समय भारत, हिरोशिमा में सेमीफाइनल खेल रहा था। उन्होंने (लालरेमसियामी) अपने कोच से कहा, 'मैं अपने पिता को गर्व महसूस करवाना चाहती हू। मैं खेलना चाहती हूं और भारत को क्वालीफाई करवाना चाहती हूं।'
मां के गले लगकर खूब रोईं
लालरेमसियामी मंगलवार को जब अपने घर पहुंचीं तो वह खुद को रोक न सकीं और अपनी मां के गले लगकर रो पड़ीं। मिजोरम सरकार के अधिकारी और उनके पूरे गांव के लोग वहां मौजूद थे। लालरेमसियामी को उनके साथियों द्वारा सियामी नाम से पुकारा जाता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.