सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को वैसे तो जनता का सेवक कहा जाता है, लेकिन देश में अफसरशाही का बोलबाला होने के कारण यह बात महज कागजों तक सिमटकर रह गई है। रोजाना देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसे मामले सामने आते रहते हैं कि लोग अफसरों की मनमानी के कारण परेशान हो रहे हैं। इन सब के बीच एक महिला आईएएस अफसर ऐसी भी है, जो खुद को जनता का सेवक मानती है और रोजाना 200 से ज्यादा लोगों की परेशानियां सुन उन्हें हल करने की कोशिश करती है। हम बात कर रहे हैं आईएएस स्मिता सभरवाल के बारे में। इस कारण लोग उन्हें 'जनता की अधिकारी' कहकर बुलाते हैं। महज 22 साल की उम्र में आईएएस बनने वाली स्मिता के नाम देश की सबसे युवा आईएएस होने का खिताब भी दर्ज है। आइए जानते हैं उनके बारे में...
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग की रहने वालीं स्मिता सभरवाल का जन्म 19 जून 1977 को हुआ था। उनके पिता प्रणब दास सेना के रिटायर्ड कर्नल हैं। उनकी मां का नाम पुरबी दास है। पिता के सेना में रहने की वजह से स्मिता अलग-अलग शहरों में पली-बढ़ी हैं। पिता के रिटायरमेंट के बाद सभी हैदराबाद में ही रहने लगे। यहीं स्मिता की स्कूल की पढ़ाई पूरी हुई। कक्षा 12वीं में स्मिता ने आईएससी (ISC) में टॉप किया था। इसके बाद कॉमर्स से उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। स्मिता के माता-पिता ने ग्रेजुएशन के बाद अपनी बेटी को सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। स्मिता ने जब सिविल सेवा की पढ़ाई शुरू की तो पहली बार में उन्हें असफलता हाथ लगी और वह प्रारंभिक परीक्षा भी पास नहीं पाई थीं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और फिर से कड़ी मेहनत के साथ कोशिश जारी रखी।
दूसरे प्रयास में हासिल की सफलता
स्मिता ने पहली असफलता से सबक लेते हुए दोगुने उत्साह से तैयारी जारी रखी। जिस कारण अपने दूसरे प्रयास साल 2000 में वह यूपीएससी की परीक्षा क्लीयर करने में सफल रहीं। वह ऐसा करने वालीं देश की सबसे युवा अभ्यर्थी थीं। यूपीएससी में स्मिता ने ऑल इंडिया में चौथी रैंक हासिल की। स्मिता ने पहले तेलंगाना कैडर के आईएएस की ट्रेनिंग ली और नियुक्ति के बाद वह चितूर में डिप्टी कलेक्टर रहीं। वो कडप्पा रूरल डेवलपमेंट एजेंसी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर, वारंगल की नगर निगम कमिश्नर और कुरनूल की संयुक्त कलेक्टर भी रह चुकी हैं।
जहां-जहां रही तैनाती, वहां-वहां मिली तारीफ
अपने अब तक के कार्यकाल में स्मिता तेलंगाना के वारंगल, विशाखापट्टनम, करीमनगर और चित्तूर में सेवाएं दे चुकी हैं। स्मिता की जहां-जहां तैनाती रही, वहां-वहां लोगों ने उनके काम को खूब सराहा। उनकी छवि जनता की अधिकारी वाली बन गई है।
कई बड़ी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया
स्मिता ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां संभालीं हैं, जिसके लिए उन्हें काफी सराहा जाता है। उन्हें तेलंगाना राज्य में किए गए कई सारे सुधारों के लिए जाना जाता है। उन्होंने तेलंगाना के लोगों की कई तरह से मदद की और जनता पर केंद्रित कई सारी योजनाओं को पूरा किया। यहां उन्होंने हेल्थ केयर सेक्टर में 'अम्माललाना' प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इस प्रोजेक्ट की सफलता के चलते स्मिता को प्राइम मिनिस्टर एक्सीलेंस अवार्ड भी दिया गया था। स्मिता के करीमनगर में बतौर डीएम तैनात रहने के दौरान ही करीमनगर को बेस्ट टाउन का भी अवॉर्ड भी मिल मिल चुका है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात होने वालीं पहली महिला आईएएस
स्मिता तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात होने वालीं पहली महिला आईएएस अधिकारी भी हैं। स्मिता ने आईपीएस ऑफिसर डॉक्टर अकुन सबरवाल से शादी की है, उनके दो बच्चे नानक और भुविश हैं। सोशल मीडिया पर स्मिता सबरमाल काफी चर्चा में रहती हैं। उनके काम करने के अंदाज और गरीबों की मदद के जुनून को सराहा जाता है। वह रोजाना 200 से ज्यादा लोगों की परेशानियां सुन उनके समाधान की कोशिश करती हैं।
कार्टून से नाराज होकर आउटलुक मैगजीन को भेजा था नोटिस
लोगों की मददगार मानी जाने वालीं तेज-तर्रार अधिकारी स्मिता के नाम एक विवाद भी रहा है। उन्होंने एक आपत्तिजनक कार्टून छापने पर आउटलुक मैगजीन को नोटिस भेज दिया था। मैगजीन ने अपने कार्टून में स्मिता को रैंप वॉक करते और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के उनकी फोटो खींचते दिखाया था। कार्टून के साथ यह भी लिखा गया था कि स्मिता मीटिंग में ट्रेंडी साड़ी और कपड़े पहनकर आती हैं। उस समय स्मिता तेलंगाना के सीएम ऑफिस में बतौर एडिशनल सेक्रेटरी तैनात थीं। इस कार्टून पर आपत्ति जताते हुए स्मिता ने आउटलुक को कानूनी नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। नोटिस में लिखा था, 'मैंने 14 साल के लंबे अरसे तक सेवा की है, इस लेख ने मुझे बहुत आहत किया है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.