मुंबई की कोमल जैन ने सीए की फाइनल परीक्षा में टॉप किया है। कोरोना के कारण लंबित हुई परीक्षा भी उनका हौसला नहीं डिगा पाई और उन्होंने अपना मुकाम हासिल कर दिखाया।
मुंबई। जो सपना आप देखते हैं अगर उसको पूरा करने के लिए पूरी मेहनत की है, तो उसे पाने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसा ही कर दिखाया है मुंबई की कोमल जैन ने। उन्होंने इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की फाइनल परीक्षा में टॉप किया है। परीक्षा मई 2020 में होनी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते चार बार इसकी डेट आगे बढ़ा दी गई थी। नवंबर में ये परीक्षा आयोजित हो पाई। हाल ही में इसका परिणाम घोषित किया गया है।
800 में से 600 अंक पाए
मुंबई के आर.ए.पोद्दार कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन करने वाली कोमल का परीक्षा में प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा। उन्होंने इस परीक्षा में 800 में से 600 स्कोर किया। मुंबई के घाटकोपर की रहने कोमल शुरू से ही एकेडमिक एचीवर रही हैं। 2017 में उन्होंने आईपीसीसी की परीक्षा में चौथी रैंक हासिल की थी1। 0वीं में उन्होंने 95.8 प्रतिशत और 12वीं में 94.42 प्रतिशत अंक हासिल किए थे।
सपने और भी हैं
कोमल का सपना है कि वो कॉपोर्रेट में अपना करियर बनाएं। वह फाइनेंस में भी हाथ आजमाना चाहती हैं। उनके पिता कॉमर्स बैकग्राउंड से हैं।
कोरोना ने अड़चन लगाई, लेकिन नहीं हार मानी कोरोना के कारण फाइनल एग्जाम की डेट लगातार आगे बढ़ती रही। हालांकि ये निराशाजनक था, लेकिन कोमल ने खुद को टूटने नहीं दिया। पढ़ना जारी रखा। सीए न्यू स्कीम में ग्रुप-I और ग्रुप-II दोनों मिलाकर कुल 19284 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी जिसमें 2790 पास हुए। वहीं, सीए फाइनल ओल्ड स्कीम में तमिलनाडु के सलेम के रहने वाले एस्साकिराज ए. ने टॉप किया है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.