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18 साल की कैद, पर हसीना के दिल में था भारत

Published - Wed 27, Jan 2021

औरंगाबाद की हसीना बेगम ने अपनी जिंदगी के 18 साल पाकिस्तान की जेल में बिना किसी गुनाह के काट दिए पर इस संकट में भी देश लौटने का जज्बा दिल में था। आज उम्र 65 साल है, लेकिन देश लौटने की खुशी हसीना को फिर से जीने का साहस देती है।

Hasina Begum

नई दिल्ली। महिला शक्ति का जीता-जागता उदाहरण हैं औरंगाबाद की हसीना बेगम। जो प्रेरणा देती हैं कि मुसीबत के समय भी हौसला और उम्मीद नहीं खोनी चाहिए। एक दिन आपको सफलता जरूर मिलती है। दरअसल 65 वर्षीय हसीना बेगम 2002 में अपने कुछ रिश्तेदारों से मिलने के लिए लाहौर गईं थीं। रिश्तेदारों से मिलने की खुशी तो उन्हें बहुत थी, लेकिन उनकी खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी, जब उन्हें पता चला कि उनका पासपोर्ट गुम गया है। इसकी सजा पाकिस्तान सरकार ने उन्हें 18 साल तक जेल में डालकर दी। लेकिन हसीना ने हौसला और देश लौटने की आस नहीं छोड़ी।
कहती रहीं मैं निर्दोष हूं
लौटने के लिए उनके पास पासपोर्ट नहीं था, तो पाकिस्तान सरकार ने उनहें घुसपैठिया समझकर जेल में डाल दिया। वो पाकिस्तानी अधिकारियों से बार-बार कहती रहीं कि वो निर्दोष हैं, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। वो रिहाई की गुहार लगाती रहीं, पर हर बार मायूसी मिली। पाकिस्तान की एक अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि वो हसीना के मामले की जांच करें। इसके बाद भारत से संपर्क कर उनकी जानकारी मांगी गई, तो औरंगाबाद पुलिस ने पाकिस्तान को सूचना भेजी कि हसीना के नाम पर औरंगाबाद में सिटी चौक पुलिस स्टेशन के तहत एक घर रजिस्टर्ड है। इस तरह पुष्टि हो सकी कि हसीना भारतीय हैं और उन्हें रिहाई मिल सकी।
26 जनवरी को हुई वतन वापसी
इस साल गणतंत्र दिवस पर हसीना की वतन वापसी हुई। देश की धरती पर कदम रखते ही हसीना खिल उठीं। उन्होंने कहा कि वो अब सुकून से कर सकती हैं। वतन लौटने के बाद हसीना बताया कि बीते 18 सालों में उन्होंने तमाम तरह की मुश्किलें झेली। अपने वतन लौटने के बाद वो अच्छा महसूस कर रही हैं। हसीना औरंगाबाद के सिटी चौक थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले राशिदपुरा इलाके की रहने वाली हैं। उनकी शादी दिलशाद अहमद नाम के इंसान से हुई थी, जोकि यूपी के सहारनपुर का रहने वाला है।