शैंपू के खाली पैकेट और प्लास्टिक बैग से पर्यावरण को नुकसान न हो, इसके लिए इंडोनेशिया की दो महिलाओं ने इस कचरे से ईंटे बनाना शुरू किया और उनके इस अनोखे प्रयास से हजारों टन प्लास्टिक वेस्ट कम हो रहा है।
नई दिल्ली। आप हमेशा शैंपू से बाल धोकर उसका खाली पैकेट यूं ही कचरे में फेंक देती होंगी। क्या कभी आपने सोचा है कि आपके द्वारा फेंका गया ये पैकेट अगर धरती की गोद में जाएगा या जलाया जाएगा, तो पर्यावरण को कितना नुकसान होगा। शायद नहीं। क्योंकि हम इस तरह की बातों पर ध्यान नहीं देते। लेकिन इंडोनेशिया की दो महिलाओं ने इस दिशा में सोचा और उसका निस्तारण करना भी शुरू किया। पहाड़ों और समुद्र में जो प्लास्टिक वेस्ट जा रहा था, उससे निपटने के लिए उन्होंने एक नया तरीका निकाला और पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम कर रही हैं।
प्लास्टिक से बनाती हैं ईंटें
इंडोनेशिया की ओवी सबरीना और नोविता टैन अपने देश में समुद्री कचरे से बेहद चिंतित थीं। समुद्र के पानी में प्लास्टिक की थैलियां, शैंपू के पैकेट व अन्य प्लास्टिक का सामान जमा होने लगा था। तब उन्होंने तय किया कि इस कचरे का सही निस्तारण किया जाएगा और इनसे ईंटे बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहले इन्होंने राजधानी जकार्ता में इस काम को शुरू किया। ये दोनों दोस्त वहां बने फूड स्टॉल्स पर गए और खाली प्लॉस्टिक के पाउच, नूडल्स के खाली पैकेट, शॉपिंग बैग आदि जमा करने लगे। प्लास्टिक वेस्ट जमा करने के लिए दोनों ने सोशल मीडिया पर एक अभियान भी शुरू किया। इसके बाद उन्हें देशभर से वेस्ट मिलने लगा। अपने कारखाने में इन्होंने उससे ईंट बनाना शुरू किया। प्लास्टिक को पिघलाकर उसमें सीमेंट और रेत मिलाया जाता और बिल्डिंग ब्लॉक्स में ढाला जाता है। कचरे से तैयार हुई ईंटें सामान्य ईंटों की तरह दिखती हैं।
पर्यावरण को बचाने की ललक
प्लास्टिक वेस्ट से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए और समुद्र में एकत्र होने वाले कचरे को निपटाने के लिए उन्होंने ये प्रयास शुरू किया। अब तक वो चार टन कचरे का निपटारा कर चुकी हैं। वे रोजाना 88,000 प्लास्टिक पाउच को पर्यावरण में फैलने से रोकते हैं। अब तक वो अपने इस अनोखे प्रयास से प्लास्टिक के 1,00,000 से अधिक ईंटों का उत्पादन कर चुकी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.