आईपीएस अपर्णा कुमार ने देश के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों के शिखर पर तिरंगा फहरा देश का मान बढ़ाया है। उनके इसी जज्बे को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय खेल दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद ने तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार 2016 से सम्मानित किया। राष्ट्रीय साहसिक कार्य के लिए दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च पुरस्कार जीतने वाली वह पहली आईपीएस अधिकारी हैं। देश में राष्ट्रीय एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए दिए जाने वाले इस पुरकार को अर्जुन पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है।
नई दिल्ली। जिद और जुनून के आगे पहाड़ भी झुकता है। यह किसी फिल्म का डायलॉग नहीं, बल्कि यूपी कैडर की आईपीएस अपर्णा कुमार की सफलता की कहानी सुनने के बाद खुद-ब-खुद मुंह से निकल जाने वाले अल्फाज हैं। अपर्णा ने देश के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ों के शिखर पर तिरंगा फहरा देश का मान बढ़ाया है। उनके इसी जज्बे को देखते हुए उन्हें राष्ट्रीय खेल दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद ने तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार 2016 से सम्मानित किया। राष्ट्रीय साहसिक कार्य के लिए दिया जाने वाला देश का सर्वोच्च पुरस्कार जीतने वाली वह पहली आईपीएस अधिकारी हैं। देश में राष्ट्रीय एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए दिए जाने वाले इस पुरकार को अर्जुन पुरस्कार के समकक्ष माना जाता है।
आईपीएस अपर्णा कुमार के पति संजय कुमार सहारनपुर के मंडलायुक्त हैं। अपर्णा इन दिनों आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) में डीआईजी हैं और देहरादून में तैनात हैं। गुरुवार को जब उन्हें सम्मानित किया गया, तो मंडलायुक्त संजय कुमार भी वहां मौजूद रहे। राष्ट्रपति के हाथों इस सम्मान के मिलने पर जब तालियां बजीं तो मंडलायुक्त संजय कुमार के चेहरे पर खुशी अलग ही झलक रही थी।
बेटी 6 साल की थी, फिर भी पीछे नहीं खींचे कदम
अपर्णा की अब तक की उपलब्धियां
- जून 2019 में उत्तरी अमेरिका महाद्वीप के अलास्का में सर्वोच्च चोटी माउंट डेनाली पर तिरंगा फतेह किया। इसके साथ ही वह सातों महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटी पर भारत का झंडा फहराने वाली प्रथम पुलिस अधिकारी बनीं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.