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एक आईपीएस ने प्रवासी मजदूरों के लिए रात 12 बजे बनाया खाना

Published - Sun 17, May 2020

देश में लॉकडाउन चल रहा है। लाखों प्रवासी मज़दूर शहर से अपने गांव, अपने घर की तरफ जा रहे हैं। ऐसे में कई लोग इनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं। ऐसी ही मदद की, आंध्रप्रदेश की विजयवाड़ा की एसपी बी राजा कुमारी ने उन्होंने एक फोन कॉल पर रात के 12 बजे प्रवासी महिला मजदूरों को अपने हाथ से खाना बनाकर खिलाया। उनके इस हौसले की हर तरफ तारीफ हो रही है।

आईपीएस बी राजा कुमारी

नई दिल्ली। कई प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घर जा रहे हैं। इनमें से ही कुछ महिलाएं नेल्लोर जिले से विजयनगरम जा रही थीं। विजयनगरम आंध्र प्रदेश राज्य का एक शहर है। ये महिलाएं भूखीं थीं। उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं था। इन्होंने मदद के लिए विजयनगरम जिले की एसपी बी राजा कुमारी को कॉल किया। तब एसपी ने रात के 12 बजे उन महिलाओं के लिए घर में लेमन राइस (एक तरह का चावल) बनाया और उनके खाने का इंतजाम किया।

अनजान नंबर से आया फोन 

एसपी ने बताया कि रात के 12 बजे अनजान नंबर से मेरे पास फोन आया। फोन करने वाली महिला ने बताया कि वह लोग एक-दो दिन से पैदल चल रही हैं लेकिन खाने के लिए रास्ते में कुछ नहीं मिला। इस समय वे चेक पोस्ट पर हैं। 11 लोग नेल्लोर से विजयनगरम चेक पोस्ट तक आए और 7 लोग सिक्काकुलम से आएं हैं। इसके बाद मैंने अपने ऑफिसर्स को कॉल किया। उनसे पूछा कि कुछ खाने को मिलेगा? तो वह बोले कि रात के समय तो कुछ नहीं मिलेगा, पर वह ब्रेड के लिए ट्राई कर सकते हैं।

लगा रात में खाने को कुछ नहीं मिलेगा 

एसपी ने बताया कि मुझे लगा कि इस वक्त ब्रेड भी नहीं मिलेगा फिर मैंने घर में लेमन राइस (चावल) बनाया और चेकपोस्ट पर लेकर गई लेकिन  7 महिलाएं जा चुकी थीं। बाकी की 11 महिलाएं लेंडी कॉलेज में बने क्वारंटीन सेंटर पहुंच गई थीं। हमने वहां खाना पहुंचाया। इसके बाद उन लोगों ने खाना खाया, फिर मैं भोर में तीन-चार बजे घर गई।

एक गांव वाले ने दिया था नंबर, कहा था मदद चाहिए तो इस नंबर पर फोन करना

एसपी से जब पूछा कि उन महिलाओं को आपका फोन नंबर कहां से मिला? तब बी राजा कुमारी ने बताया कि गांव के ही किसी व्यक्ति ने उनका नंबर यह बोलकर दिया था कि अगर कोई मदद चाहिए हो तो इस नंबर पर कॉल कर देना। उन महिलाओं ने खाने की मदद मांगने के लिए कॉल किया। एसपी ने बताया कि उन महिलाओं के साथ उनके बच्चे भी थे। उनके लिए भी महिलाएं खाने का इंतजाम नहीं कर पा रही थीं, क्योंकि जितना पैसा था वो सब खर्च हो गया था। मैंने उन महिलाओं को 14 दिन क्वारंटीन में रहने की सलाह दी।