आईएएस या आईपीएस अफसर बनकर कई अधिकारी पीछे मुड़कर नहीं देखते, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हों जो कुछ बनने के बाद भी जमीन से जुड़ें रहते हैं। ऐसी ही एक आईपीएस अधिकारी हैं डॉ. प्रीतपाल कौर, जो अधिकारी बनने के बाद भी न केवल युवाओं को यूपीएससी की कोचिंग दे रही हैं बल्कि नशे के खिलाफ अभियान भी चला रही हैं।
नई दिल्ली। आईपीएस अफसर डॉ. प्रीतपाल कौर बत्रा हरियाणा के यमुनानगर की रहने वाली हैं और अभी नगालैंड में अपनी सेवाएं दे रही हैं। उनके अनुसार मैं पढ़ाई करने और खेती के कामों को लेकर आकर्षित रहती थी, इसलिए पढ़ाई के बाद मैंने सिविल सेवा की परीक्षा दी। आईपीएस बनकर मैंने नगालैंड में युवाओं की प्रतिभा को संवारने के लिए कोचिंग शुरू की। वर्ष 2016 में यूपीएससी परीक्षा पास करने के बाद मैं आईपीएस बनी। मेरी पहली पोस्टिंग सब-डिवीजनल पुलिस ऑफिसर के पोस्ट पर नगालैंड के सुदूरवर्ती जिले तुएनसांग में हुई। वहां की प्राकृतिक सुंदरता ने मेरा मन-मोह लिया। वहां के लोग सच्चे व दयालु हैं, जो मुझे अपनेपन का एहसास कराते थे। मुझे वहां कई ऐसे युवा मिले, जो प्रतिभावान होने के बावजूद उचित मार्गदर्शन के अभाव में पीछे रह गए थे। मैंने उन्हें यूपीएससी की कोचिंग देने का फैसला किया। पुलिस विभाग ने इसके लिए एक कांफ्रेंस हॉल उपलब्ध कराया और बच्चों को अध्ययन सामग्री खरीदने में मदद की। मैंने दो अन्य अधिकारियों के साथ नौवीं कक्षा के 50 से अधिक बच्चों को कोचिंग देनी शुरू की। एक वर्ष के बाद कई बच्चों ने राज्य सरकार की नौकरियां हासिल कीं, जबकि कई बच्चे यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं।
नशे के खिलाफ अभियान चलाया
तुएनसांग और नोक्लाक जिले में, जहां मैं अभी पोस्टेड हूं, बहुत से युवा नशे की चपेट में थे। मैंने नशे के खिलाफ अभियान चलाया और स्कूलों, स्वयंसेवी संगठनों व छात्र संगठनों के बीच तालमेल बिठाया और अपने चिकित्सीय प्रशिक्षण का इस्तेमाल करते हुए युवाओं को नशे से बाहर निकाला और उन्हें दोबारा पढ़ाई की तरफ ले गई।
जीविका कौशल के साथ खेती सिखाने के प्रयास किए
नोक्लाक जिले में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। यहां एचआईवी संक्रमित लोग भी हैं। मैंने ऐसे लोगों को जीविका कौशल के साथ खेती सिखाने के प्रयास किए, ताकि वे नशे से बाहर निकल कर अपनी आजीविका कमा सकें और अपने घर-परिवार के लिए कुछ काम कर सकें।
जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया
बतौर डॉ. प्रीतपाल, मैंने तकरीबन 120 लोगों को शहद उत्पादन, जैविक खेती और वर्मीकम्पोस्ट जैसे कार्यों का प्रशिक्षण दिलाया। इनमें से कई लोग आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं। इसमें जिला कृषि विज्ञान केंद्र हमारा सहयोग कर रहा है। अभियानों में हमें अपेक्षित परिणाम मिल रहे हैं। मुझे बेहद खुशी है कि जरा से मार्गदर्शन से सफलता की कई कहानियां सामने आ रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.