मुंबई की जसमीना खुद दिव्यांग हैं, लेकिन उनका हौसला बुलंद है। वह दिव्यांगों के चलने योग्य रोड बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।
मुंबई। मुंबई की शाम एकदम हसीन होती है। ढलता सूरज और समुद्र का किनारा उस शाम को और रंगीन बना देता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मुंबई की सड़कों पर निकलना उतना ही मुश्किल है, जितना सूरज का रात में चमकना। लेकिन मुंबई की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर दिव्यांगों के लिए चलने के लिए आसान रास्ता बनाने की मुहिम खुद मुंबई की एक दिव्यांग ने शुरू की है। जसमीना सेरिब्रल पैल्सि नाम की बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन उनके हौसले, इरादे और काम देखकर लोग दंग रह जाते हैं।
आईटी कंपनी में करती हैं काम
बीमारी के कारण जैस्मीना अपने घर की बालकनी या दफ्तर की खिड़की से ही सड़क देख सकती हैं। बीमारी के कारण उन्हें चलने-फिरने में परेशानी होती है। ऐसे में जसमीना के मन में ख्याल आया कि मुंबई की व्यस्त जिंदगी में दिव्यांगों के चलने के लिए भी ऐसी सड़क होनी चाहिए, जहां उन्हें परेशानी न हो। वह एक आईटी कंपनी में काम करती हैं।
शुरू किया खुद का एनजीओ
जसमीना को जब भी बाहर जाना होता है तो उनकी कार का ड्राइवर उठाता, बैठाता। 2015 में सरकार ने 'सुगम्य भारत अभियान' लॉन्च किया, ये दिव्यांगों के लिए भारत सरकार की एक योजना थी। लेकिन दावे हवाई रहे, तो जैस्मीना ने खुद ही इसपर काम करने का बीड़ा उठाया और मित्र संकेत के साथ मिलकर एक्सेस टू होप नाम का एनजीओ शुरू किया। इसका मकसद मुंबई की सड़कों को दिव्यांगों के लिए चलने-फिरने योग्य बनाना था। उनका संगठन मुंबई के हनुमान रोड, नेहरू रोड पर काम भी कर रहा है और ये उनका पायलट प्रोजेक्ट है। सरकारी गाइडलाइंस के हिसाब से वो काम करती हैं। संकेत और जसमीना ने बीएमसी और एक डिजाइन आर्किटेक्चरल फर्म के साथ मिलकर एक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप शुरू की है, जो सड़कों का प्रोटोटाइप बनाएगी। उनका कहना है कि दिव्यांगों के लिए फुटपाथ योग्य नहीं है। उनकी चौड़ाई भी दिव्यांगों की व्हिलचेयर्स के हिसाब से नहीं है। फुटपाथबनाते समय नियम फॉलो नहीं किए जाते, इसलिए वो इस दिशा में ही काम कर रही हैं, जिससे दिव्यांग खुली हवा में आराम से चल फिर सकें।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.