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थैला बनाने वाली महिलाएं अब मास्क बना रही हैं

Published - Sat 11, Apr 2020

संस्था जीवनम ने वर्ष 2018 में केरल की बाढ़ के समय लोगों की मदद की थी। अब कोरोना से जंग के लिए संस्था की तीस महिलाएं हर दिन लगभग दो सौ से तीन सौ मास्क बना रही हैं।

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इस कठिन समय में मास्क पहनना जरूरी हो गया है, जिसके चलते बाजार में मास्क मिलना मुश्किल है। न ही सरकार की तरफ से मास्क उपलब्ध कराए गए हैं। ऐसे में एक संस्था 'जीवनम' ने मास्क बनाने का बीड़ा उठाया है। इस संस्था को दीपा नायर वेणुगोपाल चलाती हैं। संस्था की सभी सदस्य महिलाएं हैं और मास्क की कमी दूर करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही हैं। यह संस्था पहले कपड़ों से थैला बनाती थी। चूंकि संस्था की ज्यादातर महिलाएं कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से आती हैं, इसलिए संस्था उनकी घरेलू जरूरतों की चीजों का भुगतान करती है। दीपा नायर कहती हैं कि, 'संस्था में काम करने वाली सभी महिलाओं को हमने बता दिया गया है कि वे अपने इलाके की किसी खास दुकान से सामान लें और हम सीधे दुकानदार के खाते में उन चीजों की कीमत भेज देते हैं। इस तरह से कोई शारीरिक संपर्क नहीं हो पाता है। हम उनके मोबाइल भी रिचार्ज कराते हैं।' वर्ष 2018 में केरल में जब भीषण बाढ़ आई थी, तब भी इस संस्था ने लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया था। शुरू में लक्ष्य बाढ़ पीड़ितों को आवश्यक बर्तनों, किराने का सामान और इसी तरह की अन्य चीजें उपलब्ध कराने में मदद करना था। बाद में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं को एक साथ भी संस्था से जोड़ा गया। उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए जीवनम को एक सिलाई केंद्र बना दिया गया।  

ऐसे की शुरुआत
यह संस्था अभी तक पुराने एवं कटे-छंटे कपड़ों से थैला बनाती थी। लेकिन अब संस्था की महिलाओं ने ऑनलाइन वीडियो ट्यूटोरियल देखकर कोरोना से लड़ाई के लिए मास्क बनाने का काम शुरू कर दिया है। हमारी संस्था की करीब तीस महिलाएं प्रतिदिन लगभग दो से तीन सौ मास्क बनाती हैं। 

घर से ही काम
सभी महिलाएं इस समय सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए अपने घरों से ही काम कर रही हैं। ग्राहक ही कच्चा माल देते हैं। एक टीम लोगों को कुछ मास्क मुफ्त में भी बांटती है। ये महिलाएं अपने आसपास के लोगों को भी मास्क बनाना सिखा रही हैं। लेकिन यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी सावधानियां बरती जाएं।

आगामी योजना
यह संस्था अब हैंड सैनिटाइजर बनाने का विचार कर रही है और इसके लिए सरकार से जरूरी अनुमति लेने का प्रयास कर रही है। अगर सरकार से इसकी अनुमति मिल जाती है, तो हैंड सैनिटाइजर बनाकर उसे मुफ्त में वितरित करेंगे।