रांची के दाहू गांव की रहने वाली जीतन देवी बांस से बनी कलाकारी के लिए जानी जाती हैं। वो इसे बनाने के साथ-साथ महिलाओं को ये कला सिखाने और उत्पादन बढ़ाने की दिशा में भी काम कर रही हैं।
नई दिल्ली। कहते हैं कि गांव में रोजगार नहीं है, पहचान नहीं है। दो पैसे के लिए भी जदोजहद करनी पड़ती है। ये बात सच है कि गांव में संसाधन और आजीविका के साधन नहीं है, लेकिन गांव और पिछड़े क्षेत्रों में में भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जो इसी तंगहाली के बीच दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं रांची के दाहू गांव की जीतन देवी। बांस से बने उत्पादों को बनाने में इनका कोई सानी नहीं है। इनके हाथों से बनी बांस की कलाकृति खूब पसंद की जाती हैं और उनके काम को पहचान भी मिली है। जीतन अन्य महिलाओं को भी इस काम में महारथ दिलाने का काम कर रही हैं।
गांव-गांव जाकर देती हैं ट्रेनिंग
जीतन देवी बांस से कई आकर्षक वस्तुएं बनाती हैं। वो अन्य महिलाओं को भी इसकी ट्रेनिंग देने का काम कर रही हैं। इसके लिए वो गांव-गांव कैंप करती हैं और महिलाओं को ये हुनर सिखाती हैं। जीतन का मानना है कि महिलाएं अगर रोजगार पा जाएंगी, तो उनका जीवनस्तर ऊंचा होने के साथ-साथ उनके सम्मान में भी वृद्धि होगी। जीतन के साथ लगभग 30 महिलाएं काम कर रही हैं। वे अन्य गांवों में जाकर भी महिलाओं को बांस से अलग-अलग चीजें बनाना सिखाती हैं।
जीतन का मानना है कि पंरपरा हैं बांस के उत्पाद
शादी, रोजमर्रा की जिंदगी, तीज-त्योहार आदि में बांस के उत्पाद जीवन का अहम हिस्सा हैं, ऐसा जीतन कहती हैं। जीतन मानती हैं कि ये हमारी परंपरा का हिस्सा हैं, इसलिए इनकी मांग कभी कम नहीं होगी। चाहें, वो छठ का त्योहार हो, जीवन-मरण हो, दीवाली हो या शादी। ये प्रोडक्ट हमेशा ही डिमांड में रहेंगे। उन्होंने राज्य आजीविका संवर्धन सोसायटी के तहत ट्रेनिंग भी ली है। जीतन देवी ने ओडिशा में रहते हुए सात साल तक बांस से प्रोडक्ट बनाने का काम सीखा।
बढ़ गई जीतन की कमाई
जीतन के हाथों से बने प्रोडक्ट 1500 रुपये से लेकर दस हजार तक की कीमत तक आसानी से बिक जाते हैं। जीतन को अलग-अलग कंपनी, एनजीओ,दुकानदार आदि ब्लक में ऑर्डर देते हैं, जिससे जीतन की कमाई तो बढ़ी है, साथ ही वो अन्य महिलाओं को भी रोजगार देने का काम कर रही हैं। इस काम को करते हुए उन्हें खूब सम्मान भी मिला है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.