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जब डूबते युवकों के लिए आस बनकर आईं रमा

Published - Wed 09, Oct 2019

भरुआसुमेरपुर की रमा देवी उन तीन युवकों के लिए देवी बन गई हैं, जिन्हें उन्होंने गहरे तालाब में डूबने से बचाया। रमा ने अपनी जान की परवाह न करते हुए युवकों की जान को बचाकर दिखा दिया कि स्त्री को देवी यूं ही नहीं कहा जाता।

rama devi

कानपुर। स्त्री को भारतीय समाज में देवी का दर्जा दिया गया। उसे देवी रूप में काली, दुर्गा, लक्ष्मी समेत कई रूपों में पूजा जाता है। इसी देवी के नौ दिन नवरात्र हैं, जिसपर कई श्रद्धालु देवी की मूर्ति स्थापित करते हैं और नवरात्र संपन्न होने के बाद उसका विसर्जन करते हैं। भरुआसुमेरपुर के हमीरपुर में भी कुछ आस्थावान युवकों ने देवी की मूर्ति स्थापित की थी और दशहरा के दिन वो धूमधाम से मूर्ति विसर्जन के लिए निकले। पूरे रास्ते मां के जयकारे लगाए और मूर्ति को गायत्री तपोभूमि प्रांगण के तालाब में लेकर पहुंचे। पूजा-अर्चना के बाद युवक जैसे ही मूर्ति को तालाब में लेकर उतरे गहरे पानी में डूबने लगे। आठ युवकों में से पांच को तैरना आता था, तो वो तैरकर बाहर आ गए, लेकिन तीन युवक राहुल कुशवाहा, शिवम यादव व अखिलेश तैरना नहीं जानते थे। इस कारण डूबने लगे। प्राण बचाने के लिए मां दुर्गा से विनती करने लगे। इसी बीच मां दुर्गा के रूप में गांव की ही रमा देवी वहां पहुंची और अपनी जान की परवाह किए बिना गहरे तालाब में छलांग लगा दी। रमा देवी की हिम्मत थी कि वो एक-एक कर डूबते तीनों युवकों को किनारे पर ले आईं। जान बचने के बाद युवकों को रमा देवी में मां शक्ति की झलक दिखाई दी। रमा देवी ने जिन तीन युवकों के प्राणों की रक्षा की, वो युवक रमा देवी का गुणगान कर रहे हैं। रमा देवी की चर्चा पूरे गांव में हो रही है।