साल 2018 में महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में महिला सशक्तिकरण की दिशा में असाधारण कार्य और योगदान देने के लिए न्यायाधीश गीता मित्तल को महिलाओं के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'नारी शक्ति पुरस्कार' से सम्मानित किया था।
साल 2018 में महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में महिला सशक्तिकरण की दिशा में असाधारण कार्य और योगदान देने के लिए न्यायाधीश गीता मित्तल को महिलाओं के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'नारी शक्ति पुरस्कार' से सम्मानित किया था।
दिल्ली हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहते हुए गीता मित्तल यह पुरस्कार पाने वालीं पहली ऐसी महिला हैं, जिन्हें कानून और न्याय के क्षेत्र में महिलाओं के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इस समय न्यायमूर्ति गीता मित्तल जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश हैं। उल्लेखनीय यह है कि जस्टिस गीता मित्तल को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पहली महिला जज होने का खिताब भी मिला है।
न्यायाधीश गीता मित्तल के बारे में उल्लेखनीय है-
• उन्होंने अप्रैल 2017 में मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाला था। उनके कार्यकाल में हाई कोर्ट की कार्यशैली में काफी बदलाव देखने को मिला है।
• वे न्यायपालिका में पारदर्शिता को लेकर काम कर रही हैं।
• गीता मित्तल ने वर्ष 1981 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की डिग्री ली है।
• उन्होंने वर्ष 2004 में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कार्य शुरू किया था।
• उन्होंने अब तक के कार्यकाल में अनेक महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं।
नारी शक्ति पुरस्कार की हकदार कौन?
नारी शक्ति सम्मान या पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले राष्ट्रीय सम्मान की एक श्रृंखला है। यह असाधारण उपलब्धि अर्जित करने वाली महिलाओं को प्रदान किया जाता है। नारी शक्ति सम्मान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा छह श्रेणियों में दिया जाता है। यह सम्मान कठिन परिस्थितियों में एक महिला की हिम्मत को सरकार की ओर से एक सराहना है। इसने अपने निजी या व्यावसायिक जीवन में साहस की भावना स्थापित की है और महिलाओं के सशक्तिकरण और महिलाओं के मुद्दों को बढ़ाने में एक व्यक्ति के तौर पर अग्रणी योगदान दिया है। यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक वर्ष नई दिल्ली में 8 मार्च को प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार में एक लाख रुपये और एक प्रमाण पत्र दिया जाता है। इस सम्मान की शुरुआत साल 1999 में हुई थी।
छह सम्मान श्रेणियां
इस सम्मान का नाम भारतीय इतिहास की प्रख्यात महिलाओं की स्मृति में रखा गया है और निम्न श्रेणियों में दिया जाता है :-
1) देवी अहिल्याबाई होल्कर सम्मान : 18वीं शताब्दी की मालवा शासिका के नाम पर।
2) कण्णगी सम्मान : प्रसिद्ध तमिल स्त्री, कण्णगी के नाम पर।
3) माता जीजाबाई सम्मान : वीर शिवाजी की माता। जिन्होंने 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी।
4) रानी गाएदिनलिउ जेलियांग सम्मान : 20वीं शताब्दी की नागा आध्यात्मिक एवं राजनीतिक नेत्री, रानी गाएदिनलिउ जेलियांग के नाम पर।
5) रानी लक्ष्मीबाई सम्मान : झांसी की प्रसिद्ध रानी एवं स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर।
6) रानी रुद्रम्मा देवी सम्मान (पुरुष एवं स्त्रियों, दोनों के लिए) : 13वीं शताब्दी की दक्षिण पठार की शासिका रुद्रम्मा देवी के नाम पर।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.