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भारत की बेटी कमला हैरिस ने रचा इतिहास, बनेंगी अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति

Published - Sun 08, Nov 2020

अमेरिका में चार दिन तक चली मतगणना के बाद 7 नवंबर की रात यह साफ हो गया कि मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस से विदाई तय है। जो बाइडन अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर वैसे तो पूरी दुनिया की नजर थी, लेकिन भारत नतीजों पर कुछ ज्यादा ही संजीदा था। इसकी दो वजह थीं। पहली नए राष्ट्रपति के चयन के साथ ही दोनों देशों के रिश्तों के एक नए अध्याय की शुरुआत किस कलेवर में करनी होगी इसकी रूपरेखा तैयार करना। दूसरी वजह थीं कमला हैरिस। भारतीय मूल की इस बेटी ने शनिवार की रात न केवल अमेरिका के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा, बल्कि भारतीयों को गौरवांवित होने का मौका भी दिया। आइए जानते हैं अमेरिका की होने वाली नई उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और उनके भारत से रिश्ते के बारे में ....

नई दिल्ली। डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस अमेरिका की पहली निर्वाचित महिला उपराष्ट्रपति बनने जा रही हैं। कमला हैरिस का जन्म 1964 में ऑकलैंड (कैलिफोर्निया) में हुआ था। उनकी मां श्यामला गोपालन का जन्म तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 320 किलोमीटर दूर थुलासेंद्रपुरम् गांव में रहने वाले पूर्व राजनयिक पी.वी. गोपालन के घर हुआ था। कमला के पिता जमैका के रहने वाले डोनाल्‍ड हैरिस थे। डोनाल्‍ड ब्रेस्ट कैंसर वैज्ञानिक थे। बताया जाता है कि कमला हैरिस की मां कैंसर का इलाज कराने अमेरिका पहुंची थीं। वहीं पर उनकी मुलाकात डोनाल्ड हैरिस से हुई थी। इस मुलाकात के बारे में कुछ लोगों का कहना है कि कमला की मां और पिता की मुलाकात बर्कले में हुई। मानवाधिकार आंदोलनों में हिस्सा लेते हुए दोनों एक दूसरे के प्यार में पड़ गए। इसके बाद श्यामला गोपालन ने प्रेमी से शादी करने और अमेरिका में रहने का फैसला कर लिया। कमला जब पांच साल की थीं तो उनकी मां श्यामला गोपालन और पिता डोनाल्ड हैरिस अलग हो गए। कमला और उनकी बहन की परवरिश उनकी सिंगल हिंदू मदर ने ही की। कैंसर रिसर्चर और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को 'श्यामला एंड द गर्ल्स' के नाम से जाना जाता है।
कमला अपनी आत्मकथा में लिखती हैं, 'मेरी मां यह अच्छी तरह जानती थीं कि वह दो ब्लैक बेटियों को बड़ी कर रही हैं। उन्हें पता था कि उन्होंने जिस देश को रहने के लिए चुना है वह माया और मुझे ब्लैक लड़कियों के तौर पर ही देखेगा। लेकिन वह इस बात को लेकर दृढ़ थीं कि वह अपने बेटियों की परवरिश इस तरह करेंगी कि वे आत्मविश्वासी ब्लैक महिला के तौर पर दुनिया के सामने आएं।'

2003 में अटॉर्नी चुनी गई थीं

55 साल की कमला हैरिस ने 1998 में ब्राउन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की। 2003 में उन्हें सिटी और सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के तौर पर चुना गया था। 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनकर इतिहास रचा था। वह पहली अश्वेत महिला थीं, जिन्होंने यह पद हासिल किया था। 2016 में वह दूसरी अश्वेत महिला के तौर पर यूएस सीनेटर चुनी गईं थीं।

'ब्लैक लाइव मैटर्स' का मिला लाभ

कमला हैरिस अब लाखों-करोड़ों अमेरिकन महिलाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी। कमला की जीत का यह भी मतलब निकाला जा रहा है कि अमेरिका में लोग रंग के आधार पर भेदभाव बंद करना चाहते हैं। चुनाव में अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव का मुद्दा हावी था। लोगों ने 'ब्लैक लाइव मैटर्स' कैंपेन चलाया था। डोनाल्ड ट्रंप पर शुरू से अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगता रहा। इसका लाभ कमला को मिला। बिडेन भी इस मसले पर मुखर रहे। अश्‍वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका में फैली हिंसा और प्रदर्शनों के दौर बीच कमला ने ट्रंप का जोरदार विरोध किया। यहीं से उन्हें डेमोक्रेट्स समर्थकों के बीच पसंद किया जाने लगा। उन्होंने समलैंगिक विवाह का भी समर्थन किया। कमला ने अगस्त में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में भाषण देते हुए बेकर मोटले, फैनी लू हैमर और शिरीष चिशोल्म जैसी अमेरिकन महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा था कि, मैं यहां तक पहुंच सकी हूं इसके पीछे इन महान हस्तियों का संघर्ष है।

आसान नहीं रहा सफर, विक्ट्री स्पीच में बोली, मैं पहली पर आखिरी नहीं

शनिवार को विक्ट्री स्पीच में कमला ने कहा- मैं अमेरिका की पहली महिला वाइस प्रेसिडेंट बनूंगी, लेकिन हमें यह भी तय करना है कि ये आखिरी बार न हो। हर छोटी बच्ची आज जो देख रही है। उसके मन में यह भावना जरूर आनी चाहिए कि अमेरिका संभावनाओं और उम्मीदों का देश है। कमला के अमेरिका के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। उनहें कई परेशानियों से दो-चार होना पड़ा। हैरिस ने मॉन्ट्रियल (कनाडा) में कई साल बिताए। अश्वेतों की यूनिवर्सिटी हार्वर्ड में भी रहीं। डोमेस्टिक और चाइल्ड वॉयलेंस पर काम किया। 2009 में मां की ब्रेस्ट कैंसर से मौत हुई। पति यहूदी थे। उनके बच्चे उन्हें मोमाला कहते हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी से उनका नॉमिनेशन आसान नहीं था, लेकिन कमला का कद बहुत बड़ा रहा। कितनी बड़ी बात है कि जो बाइडन की वे कट्टर विरोधी रहीं और उन्होंने ही कमला को वाइस प्रेसिडेंट कैंडिडेट नॉमिनेट किया। यह उनके कद और ज्ञान का सम्मान था। उसको तवज्जो दी गई।

कमला के सहयोगी भी उनके मुरीद

डेमोक्रेट सीनेटर कोरी बुकर कहते हैं, काम करने की जो लगन और भावना कमला में है, वो कम लोगों में होती है। वे काम के जरिए ही लोगों का दिल जीतती आई हैं। कैलिफोर्निया की सांसद बारबरा ली कहती हैं, वे व्हाइट हाउस के दरवाजे तक पहुंच चुकी हैं। कई बार इस पर यकीन करना मुश्किल होता है। उम्मीद है कि व्हाइट हाउस में वे नंबर एक बनेंगी। आपको अगले चुनाव का इंतजार करना होगा। भारतीय मूल के सांसद प्रमिला जयपाल भी यही मानती हैं।

थुलासेंद्रपुरम् गांव में जश्न का माहौल

कमला हैरिस के अमेरिका के उपराष्ट्रपति बनने की खबर जैसे ही तमिलनाडु के थुलासेंद्रपुरम् गांव के लोगों को मिली वह खुशी से झूम उठे। लोगों ने घरों के बाहर रंगोली बनाकर कमला को शुभकामनाएं दीं। मंदिर में विशेष पूजा करने के साथ ही पटाखे भी फोड़े। गांव में दिवाली से पहले ही त्योहार का नजारा देखने को मिल रहा है।