अमृतसर के राजकीय महिला महाविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने वाली कंचन चौधरी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उत्तर प्रदेश कैडर की पहली महिला आईपीएस कंचन चौधरी 1973 में आईपीएस कैडर में शामिल होने वाली दूसरी अधिकारी और उत्तर प्रदेश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी थीं। कई अहम जिम्मेदारियों निभाने के बाद साल 2004 में जब वह उत्तराखंड की तीसरी पुलिस महानिदेशक बनकर आईं, तो देश और दुनिया में चर्चा में आ गईं।
नई दिल्ली। देश की पहली महिला पुलिस महानिदेशक कंचन चौधरी भट्टाचार्य अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन कंचन चौधरी को कई पीढ़ियों तक याद रखा
जाएगा। अपना नाम इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कराने वाली कंचन ने देश की महिलाओं को सीख दी कि अपने सपनों को उड़ान दीजिए, तभी
सपने पूरे हो सकेंगे। अमृतसर के राजकीय महिला महाविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने वाली कंचन चौधरी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उत्तर प्रदेश कैडर की पहली महिला आईपीएस कंचन चौधरी 1973 में आईपीएस कैडर में शामिल होने वाली दूसरी अधिकारी और उत्तर प्रदेश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी थीं। कई अहम जिम्मेदारियों निभाने के बाद साल 2004 में जब वह उत्तराखंड की तीसरी पुलिस महानिदेशक बनकर आईं, तो देश और दुनिया में चर्चा में आ गईं। इस पद पर पहुंचने वाली वो पहली महिला पुलिस अधिकारी थीं। कंचन के नाम एक रिकॉर्ड और भी है। आईपीएस के रूप में किरण बेदी के बाद वो देश की दूसरी महिला थीं। जिस समय वो उत्तराखंड में कानून व्यवस्था संभालने पहुंचे उस समय एनडी तिवारी वहां के मुख्यमंत्री थे। चूंकि उत्तराखंड कुछ सालों पहले ही अलग राज्य बना था, तो कंचन चौधरी के लिए वहां अपराध रोकना और कानून व्यवस्था को संभालना कड़ी चुनौती था। इसके साथ उत्तराखंड पुलिस की एक विशिष्ट पहचान बनाने का काम भी उनके जिम्मे था। साल 2007 तक वो डीजीपी रहीं और उसके बाद हरिद्वार में अपना आवास बनाया। राजनीतिक सिस्टम में बदलाव के लिए वो राजनीति के क्षेत्र में भी उतरीं और 2014 में उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गईं। जल्द ही उन्होंने राजनीति से भी किनारा कर लिया।
कंचन ने सिखाया सपनों को पूरा करना
मूल रूप से हिमाचल प्रदेश एक एक निम्नवर्गीय परिवार से निकली कंचन ने उस दशक में जब महिलाओं को न पढ़ने की आजादी थी, न अपना करियर बनाने की, तो उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए समस्याओं को समाज के तानों को दरकिनार किया। अमृतसर और दिल्ली में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी थी और आईपीएस की कुर्सी तक पहुंची। एक महिला अधिकारी के रूप में साल 2004 में कंचन ने मेक्सिको में इंटरपोल की बैठक में भी भाग लिया। अफगानिस्तान दौरा भी किया। साल 1997 में उन्हें प्रेसिडेंट मेडल से सम्मानित किया गया था। पहले यूपी और बाद में उत्तराखंड कैडर लेने से पहले कंचन चौधरी मुंबई में सीआईएसएफ में कार्यरत थीं। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी कुछ समय काम किया।
पुलिस के पास पावर है, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं किया जाता
रिटायरमेंट के बाद जब कंचन ने राजनीति में कदम रखा, तो उन्होंने साफ तौर पर खुले मंच से कहा था कि मैं अपने अनुभवों के आधार पर कह सकती हूं कि पुलिस के पास पावर है, लेकिन उसका इस्तेमाल नहीं होने दिया जाता। उन्होंने अफसरशाही और राजनीतिक दबाव पर सीधा प्रहार करते हुए कहा कि सिस्टम में बहुत सी विसंगतियां हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है। एक सख्त और सक्षम महिला पुलिस अधिकारी के रूप में कंचन ने अपने हर क्षेत्र में बेहतर किया और महिलाओं को बताया और सिखाया कि सपने देखो, उनके पीछे पड़ जाओ और उन्हें पूरा करके मानो। कंचन चौधरी ने अपने डीजीपी कार्यकाल में भले ही बहुत बड़ी सफलताएं न अर्जित की हों लेकिन महिला सशक्तीकरण के एक प्रतीक की तरह तो उन्हें देखा ही गया। उनका उस पद पर होना आश्वस्ति और प्रेरणा का संकेत था- अपने अपने संघर्षों में जूझतीं पहाड़ से लेकर मैदान तक की लड़कियों और महिलाओं के लिए- वो ख़्वाहिशों की उड़ान थीं।
देश की पहली महिला डीजीपी बनने का मिला था गौरव
दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य देश की पहली महिला डीजीपी रहीं। उनका पुलिस करिअर शानदार रहा। रिटायर होने के बाद उन्होंने सियासत में भी हाथ आजमाया लेकिन सफल नहीं हो सकीं। उत्तराखंड पुलिस की ओर से जारी शोक संदेश में कहा गया है कि 1973 बैच की आईपीएस अधिकारी श्रीमती भट्टाचार्य का उत्तराखंड पुलिस में खास योगदान रहा। पुलिस की ओर से इसके लिए उनका आभार व्यक्त किया गया। 1973 बैच की आईपीएस अफसर कंचन चौधरी भट्टाचार्य 2004 में उत्तारखंड की डीजीपी बनी थीं। 31 अक्टूबर 2007 को वे पुलिस महानिदेशक के पदेस रिटायर हुईं। उनक छवि एक सख्त अधिकारी की रहीं। डीजीपी बनने से पहले वह राज्य पुलिस के सतर्कता विभाग में तैनात रहीं। इससे पहले वह मुंबई में सीआईएसएफ में महानिरीक्षक थीं। वह यूपी कैडर की थीं लेकिन बाद में उन्होंने उत्तराखंड कैडर ले लिया था।
भट्टाचार्य के जीवन पर धारावाहिक उड़ान'
एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से भारतीय पुलिस सेवा तक का सफर तय करने वाली कंचन चौधरी के जीवन पर नब्बे के दशक में दूरदर्शन का लोकप्रिय धारावाहिक 'उड़ान' बना था। उड़ान धारावाहिक महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित था। इसमें दिखाया गया था कि कल्याणी सिंह नाम की एक युवा लड़की जो हर स्तर पर लैंगिक भेदभाव से जूझते हुए आईपीएस अधिकारी बन जाती है। यह शो ऐसे समय में आया जब महिलाओं को वर्दी में देखना असामान्य था और इस शो ने कई महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.