कश्मीर में लंबे समय से बेटियां पाबंदियों में रही हैं, लेकिन अब यहां की बेटियों ने भी खुलकर जीना शुरू कर दिया है और अपनी पसंद और हुनर को दुनिया के सामने रख रही हैं।
नई दिल्ली। कश्मीर में लंबे समय से गोलियां की आवाज, आतंकी शोर और सेना कश्मीर के लोगों के जीवन का हिस्सा रही है। कश्मीर को जहां आतंकियों ने अस्त-व्यस्त रखा, वहीं बेटियों पर कई पाबंदी लगती रहीं। लेकिन आज कश्मीर बदल चुका है और हुनरमंद बेटियां भी खुलकर सामने आ रही हैं। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में रहने वाली ताबिश इजाज खान की उम्र महज 23 साल है। वो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। वे डॉक्टर कश्मीर की सेवा करना चाहती हैं। ताबिश बचपन से ही कलाकारी की शौकीन रही हैं, लेकिन पढ़ाई और अन्य कारणों से वो इस सपने को पूरा नहीं कर पाईं। लॉकडाउन लगा, तो ताबिश बांग्लादेश से घर लौट आईं और कैनवस उठा लिया। अब तक वो सौ से ज्यादा पेंटिंग बना चुकी हैं।
बुशरा ने पूरा किया कैलीग्राफी का शौक
गणित में पोस्ट ग्रेजुएट बुशरा अहमद पीएचडी की तैयारी में लगी हैं। उन्हें कैलीग्राफी का बहुत शौक है, लेकिन कभी वक्त नहीं मिला। लॉकडाउन में वक्त भी मिला और बुशरा ने अपने शौक को पूरा भी किया। बुशरा ने लोगों को उनकी फरमाइश के हिसाब से चीजें बनाकर देना शुरू किया फोन कॉल और मैसेज से ऑर्डर भी मिलने लगे। बुशरा के पिता यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं और भाई डॉक्टर हैं। लिहाजा व अपने शौक को पैसे के लिए नहीं पूरा कर रहीं।
फौजिया ने कला के सहारे की मदद
बीएड द्वितीय वर्ष की छात्रा फौजिया पेंटिंग और कैलीग्राफी बनाने की शौकीन रही हैं। लेकिन पूरा समय नहीं दे पाती थीं। लॉकडाउन लगा तो आसपास के लोग परेशान हो गए। कमाई का जरिया नहीं रहा। तब फौजिया ने अपनी कला के बल पर लोगों की मदद करने की ठानी और मार्च में काम शुरू किया। जो पैसा उनकी कला से आता, वो उसमें गरीबों की मदद में लगा देंती। फौजिया भट्ट जिन लोगों की मदद करतीं, उन्हें पैसा देखकर आगे और गरीब लोगों की मदद करने के लिए भी कहतीं। कलाकारी के बल पर उन्होंने लॉकडाउन में बीस हजार रुपये कमाए और जरूरतमंदों की मदद के लिए दान कर दिए। फौजिया आज कश्मीर में लोगों को पेंटिंग्स आदि सिखा भी रही हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.