केरल की सीनत कोक्कुर अपने क्षेत्र में सशक्त महिला किसान के तौर पर जानी जाती हैं। सीनत ने अपने एक छोटे से प्रयास से गांव की महिलाओं की किस्मत बदल दी और गांव की महिलाओं को जैविक किसान बना दिया।
नई दिल्ली। खेती किसानी को हमेशा पुरुष वर्ग के पेशे से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है कि महिलाएं इस क्षेत्र में कुछ अलग नहीं कर सकतीं। लेकिन केरल की सीनत कोक्कुर ने किसानी के क्षेत्र में कुछ ऐसा कर दिखाया कि आप उनकी पहचान पूरे देश में है। सीनत ने गांव की महिलाओ को जैविक कृषि का गुर सिखाया और गांव की सैंकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। सीनत की उम्र करीब चालीस साल है, वो गांव में ऑल विमेन्स फॉर्मिंग ग्रुप की संस्थापक हैं। उन्होंने अपने इस ग्रुप को ‘पेनमित्र’ नाम दिया गया है। उनका ग्रुप आर्गेनिक खेती के लिए जाना जाता है।
गृहिणी से सफल किसान बनीं सीनत
दसवीं तक पढ़ी सीनत को आगे बढ़ने का जुनून था, लेकिन शिक्षा का आभाव उन्हें कहीं पर भी आवेदन करने से रोकता था। इसी बीच उनकी शादी हो गई और सीनत एक गृहिणी के रूप में जीवन यापन करने लगीं। चूंकि सीनत किसान परिवार से थीं, तो उन्होंने कृषि के क्षेत्र में ही कुछ करने की ठानी। इसी धुन में एक दिन सीनत पास के ही कृषि भवन पहुंच गईं और वहां से बीए लिए। इसके बाद मन्नुथी कृषि विश्वविद्यालय से लगभग 20 ग्रो बैग लिए और उन सभी में टमाटर लगाए। कुछ समय बाद ही पौधे पनप गए और बढ़ने लगे। सीनत ने उनकी अच्छी देखभाल की और कुछ ही समय में उनमें फल आने लगे। टमाटर की छोटी सी खेती करने के बाद सीनत ने इसी तरह से भिंडी, फूलगोभी, मिर्च की खेती की। धीरे-धीरे उन्होंने आसपास की महिलाओं को इस दिशा में जागरुक करना शुरू किया और उन्हें टिप्स देने लगीं। इसी बीच उन्होंने ‘पेनमित्र’ (महिलाओं की सहेली) नाम से ऑल विमेन्स फॉर्मिग ग्रुप की शुरुआत की और महिलाओं को ग्रुप बनाया। ये महिलाएं सब्जियां बेच सकती थीं या अपनी जरुरत के अनुसार उपयोग कर सकती थीं। धीरे-धीरे उनका प्रयोग सफल रहा और आज वो महिलाओं को आर्गेनिक कृषि करना सिखा रही हैं।
दस सदस्यों से हुई थी शुरुआत
सीनत ने जब महिलाओं का ग्रुप बनाने की सोची, तो आसपास की दस महिलाएं उनके साथ जुड़ गईं। धीरे-धीरे उनका दायरा बढ़ता गया और पचास महिलाएं उनके ग्रुप में शामिल हो गईं। आज सभी महिलाएं सब्जियों के साथ, फल, अनाज भी जैविक तरीके से उगा रही हैं और लाभ कमा रही हैं। पेनमित्र ग्रुप कृषि क्षेत्र में विस्तार के लिए वर्कशॉप और सेमिनारों में भी भाग लेने लगा और और अपने जैविक उत्पादों को बाजार में बेचना शुरू किया। सीनत ने गांव के सभी घरों की महिलाओं को अपने ग्रुप से जोड़ा और सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित किया। सफलता मिली, तो सब्जियों के बाद धान की खेती पर जोर दिया गया और 5 एकड़ भूमि लीज पर लेकर धान की खेती शुरू की, पेनमित्र ने धान की खेती के लिए मिट्टी तैयार की। उनकी मदद के लिए बच्चे आगए आए और मिलजुलकर काम किया। किसी को परेशानी न हो, इसके लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए ताकि वे शिफ्टों में काम कर सकें। इस काम में कृषि विशेषज्ञों ने भी उनकी मदद की और पैदावार अच्छी हुई।
कृषि के साथ हैंडीक्राफ्ट
खेती के अलावा पेनमित्र ने नारियल के गोले और भूसी जैसे प्राकृतिक अपशिष्ट पदार्थों से कलाकृतियां और एसेसरीज बनाने शुरू किए। इन चीजों को प्रदर्शनियों में काफी पसंद किया गया।”सीनत का लक्ष्य अब पेनमित्र की गतिविधियों को मुर्गी पालन और डेयरी फार्मिंग में विस्तारित करना है और यहां तक कि टैपिओका और नारियल की खेती में भी निवेश करना है।
शिक्षा पूरी करने की जिद
सीनत ने अपने अधूरी स्कूली शिक्षा को पूरी करने की ठानी और दसवीं के बाद बारहवीं परीक्षा उतीर्ण करने के बाद कॉलेज में एडमिशन लिया। फिलहाल वो इग्नू से ग्रेजुएशन किया। आज वह न केवल ऑल विमेन्स फॉर्मिंग ग्रुप की प्रमुख हैं, बल्कि इतिहास में बीए के साथ कराटे विशेषज्ञ भी हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.