बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सरैया की रहने वाली राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची लोगों को बेटियों की शिक्षा, महिला उत्थान और जैविक खेती के लिए लगातार जागरूक कर रही हैं। इस काम के लिए न तो किसी से मदद लेती हैं और न ही संसाधनों का बहाना बनाती हैं। वह खुद ही साइकिल चलाकर गांव-गांव जाकर लोगों से मिलती हैं और उन्हें बेटियों की शिक्षा की अहमियत बताती हैं। लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए पारंपरिक खेती से हटकर जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करती हैं। सालों से चला आ रहा यह क्रम आज भी जारी हैं। आइए जानते हैं किसान चाची और उनके भगीरथी प्रयास के बारे में ...
नई दिल्ली। बिहार में महिलाओं का शिक्षा का स्तर अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी कम हैं। इस राज्य की महिलाएं को आज भी अन्य राज्यों की महिलाओं की अपेक्षा कम जागरूक माना जाता है। इन तमाम मान्यताओं के बीच बिहार में एक ऐसी महिला भी हैं, जो लोगों को बेटियों की शिक्षा, महिला उत्थान और जैविक खेती के लिए लगातार जागरूक कर रही हैं। प्यार से लोग इन्हें किसान चाची कहकर बुलाते हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सरैया की रहने वाली राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची इस काम के लिए न तो किसी से मदद लेती हैं और न ही संसाधनों का बहाना बनाती हैं। वह खुद ही साइकिल चलाकर गांव-गांव जाकर लोगों से मिलती हैं और उन्हें बेटियों की शिक्षा की अहमियत बताती हैं। महिलाओं के उत्थान के लिए वह उन्हें पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने को कहती हैं। लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए पारंपरिक खेती से हटकर जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करती हैं। सालों से चला आ रहा यह क्रम आज भी जारी हैं। आइए जानते हैं किसान चाची और उनके भगीरथी प्रयास के बारे में ...
संघर्ष भरा रहा जीवन
गरीब किसान के घर पैदा हुईं राजकुमारी देवी की शादी मैट्रिक पास करने के बाद साल 1974 में एक किसान परिवार के युवा अवधेश कुमार से हुई। बचपन से ही गरीबी में पली-बढ़ी राजकुमारी को लगा कि अब शायद उन्हें कुछ आराम मिले पर नीयति ने यहां भी उनके साथ छलावा किया। शादी होते ही ससुराल वालों ने उन्हें पति के साथ घर से अलग कर दिया। बंटवारे में उनके हिस्से में सिर्फ 2.5 एकड़ जमीन ही आई। पहले कुछ दिनों तक तो राजकुमारी और अवधेश को कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन बाद में दोनों ने इसी जमीन को अपना नसीब मानते हुए अजीविका का साधन बनाने का फैसला कर लिया। मौसम की मार और संसाधनों की कमी के कारण पारंपरिक खेती कर बेहतर जिंदगी की ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकती यह बात कुछ ही दिनों में यह दंपती अच्छे से समझ गया था। ऐसे में राजकुमारी ने पति के साथ खेती की उन्नत तकनीक सीखने और इसे अपनाने का फैसला किया। किसान चाची ने डॉ. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) से उन्नत खेती के बारे में जानकारी ली और उन्हें अपनाया। फिर ओल और पपीता की खेती करना शुरू किया। खेत में पैदा हुए ओल को उन्होंने सीधे बाजार में बेचने की बजाय उसका अचार और आटा बनाना शुरू किया। बाद में उसे बेचा। अचार से उन्हें अच्छी कमाई होने लगी। उनकी बढ़ती आय को देखकर आस-पास की बाकी महिलाएं भी उनके पास आने लगीं। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे बाकी महिलाओं को वे तकनीकें समझाना शुरू किया।
आसपास की महिलाओं को देखकर आया उन्नत खेती का आइडिया
उन्नत खेती की तकनीक सीखने के बारे में किसान चाची बताती हैं कि ससुराल वालों से अलग होने के बाद मैंने देखा कि खेती में महिलाएं भी पुरुषों की तरह की खूब मेहनत करती हैं। लेकिन उनके पास तकनीकी ज्ञान नहीं है। ऐसे में मुझे लगा कि जब वे मेहनत करती ही हैं, तो क्यों ना थोड़ी तकनीक सीखकर मेहनत करें। यहीं से मैंने तय किया कि मैं खुद खेती संबंधी तकनीकी ज्ञान लेकर बाकी महिलाओं को इसके लिए प्रेरित करूंगी। वह गांव-गांव में अपनी साइकिल से जाकर लोगों को जैविक खेती के बारे में प्रेरित करती हैं। साइकिल चलाने के कारण पहले लोग उन्हें साइकिल चाची के नाम से जानते थे, लेकिन जब उनके अचार, मुरब्बे का बिजनेस फेमस हो गया, तो लोग उन्हें किसान चाची कहकर बुलाने लगे।
62 साल की उम्र में भी रोजाना चलाती हैं 30 किमी साइकिल
किसान चाची लोगों को जैविक खेती के साथ ही बेटियों की शिक्षा, महिलाओं के उत्थान के लिए भी जागरूक करती हैं। इसके लिए वह अपने आस-पास के गांवों में खुद ही साइकिल चला कर जाती हैं। महिलाओं की मदद के लिए वह स्वयं सहायता समूह बनाती हैं। किसान चाची अब तक 50 से अधिक स्वयं सहायता समूह बना चुकी हैं। फिलहाल उनकी उम्र 62 साल है, इसके बावजूद वह रोजाना 30 किलोमीटर साइकिल चलाती हैं। वह महिलाओं को अचार-मुरब्बा के साथ मूर्तियां बनाने का हुनर भी वह सिखाती हैं।
पद्मश्री समेत कई सम्मान से नवाजी जा चुकी हैं किसान चाची
किसान चाची अब किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। महिला उत्थान के लिए उनके द्वारा किए जा रहे कामों को देखते हुए उन्हें कई बार सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें साल 2019 के पद्मश्री अवॉर्ड से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सम्मानित कर चुके हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं। बिहार सरकार ने साल 2006-07 में उन्हें किसान श्री अवॉर्ड से नवाजा था। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन किसान चाची को एक आटा चक्की, 5 लाख रुपये नकद और बाकी जरूरत का सामान भी भेंट कर चुके हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.