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उधार के 500 रुपये से कृष्णा ने खड़ा किया करोड़ों का कारोबार

Published - Sat 30, May 2020

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर से नौकरी की तलाश में दिल्ली पहुंची कृष्णा यादव ने गांव से निकलने से पहले 500 रुपये उधार लिए थे और आज उन्हीं की बदौलत करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया है।

krishna

नई दिल्ली। गांव से शहर लोग इसलिए आते हैं कि वो कमाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा ठीक से कर सके और उनके सपनों को पूरा कर सकें। कुछ ऐसा ही सपना लिए यूपी के बुलंदशहर से कृष्णा यादव भी दिल्ली पहुंची थीं। दिल्ली आने के लिए उन्होंने गांव के ही एक व्यक्ति से पांच सौ रुपये उधार लिए थे। उधारी इसलिए जरूरी थी कि घर की स्थिति ठीक नहीं थी और घर के लिए कमाना बेहद जरूरी थी, तो कृष्णा ने दिल्ली का रुख किया और आज वो करोड़ों का कारोबार खड़ा कर चुकी हैं।

पति थे बीमार कृष्णा ने थामा परिवार का दारोमदार 1995-96 में कृष्णा के पति बीमार हो गए। पति का रोजगार छूट गया, तो परिवार की जिम्मेदारी कृष्णा के कंधों पर आन पड़ी। मुश्किल समय में कृष्णा ने बिना हौंसला खोए समझदारी से काम लिया और परिवार की खातिर वो एक जानकार से पांच सौ रुपये उधार लेकर दिल्ली की ओर चल पड़ी। बेशक उनका ये सफर बेहद मुश्किल था, लेकिन उनके लिए एक नये अध्याय लिखने का इंतजार कर रहा था। कृष्णा दिल्ली तो पहुंच गईं, लेकिन एक अनजान शहर में काम ढूढ़ना और खुद को सुरक्षित रख पाना बेहद मुश्किल था, लेकिन गांव के ही एक परिचित के यहां होने पर उन्होंने उसकी मदद ली और दिल्ली में एक फार्म हाउस में नौकरी शुरू की। ये फार्म हाउस गांव के ही एक कमांडेट बीएस त्यागी का था, जहां वैज्ञानिकों के निर्देशन में बेर और करौंदे के बाग लगाए गए थे। फार्म हाउस में काम करते-करते कृष्णा को भी खेती से बेहद लगाव हो गया। 2001 में कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा में खाद्य प्रसंस्करण तकनीक का तीन महीने का प्रशिक्षण लिया।

जब तैयार किया अचार  
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कृष्णा ने सोचा कि क्या किया जाए। आखिर उन्होंने तीन हजार रुपये लगाकर 100 किलो करौंदे का अचार और पांच किलो मिर्च का अचार तैयार किया। तीन हजार रुपये के माल को बेचकर उन्होंने 5250 रुपये का मुनाफा कमाया। ये मुनाफा बेहद कम था, लेकिन उनके हौसले को बढ़ाने के लिए काफी था। कुछ समय बाद पति भी उनके साथ दिल्ली आ गए तो उन्होंने कृष्णा का साथ देना शुरू किया और दिल्ली के नजफगढ़ में ठेला लगाकर अचार बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे उनका प्रोडक्ट चल निकला और कृष्णा को विचार आया कि इस प्रोडक्ट को ठेले से उठाकर ऊंचाईयों पर लेकर जाना है।

बन गया कृष्णा पिकल्स
काफी कठिनाईयों के बीच उन्होंने अपने अचार को नाम दिया और उसकी ब्रांडिंग शुरू की। अपने ब्रांड के तहत वह चटनी, आचार, मुरब्बा तैयार करनी लगीं। धीरे-धीरे वह अपनी कंपनी के माध्यम से 87 तरह के उत्पाद तैयार करने लगीं। आज इनके व्यापार में करीबन 500 क्वींटल फलों और सब्जियों का प्रयोग होता है, जिसकी कीमत करोड़ों में है। हाल ही में कृष्णा ने अपने बिजनेस का विस्तार पेय-पदार्थ जैसे उत्पादों में भी किया है। कृष्णा यादव की सफलता सच में लाखों-करोड़ों महिलाओं के लिए एक मजबूत प्रेरणास्रोत है।