कई पुलिस अफसर अपनी कार्यप्रणाली के कारण अक्सर चर्चा में रहते हैं। इनके काम करने के अंदाज के कारण लोग इन्हें फिल्मी कैरेक्टर के नाम से भी पुकारते हैं। ऐसी ही एक आईपीएस अफसर हैं लिपी सिंह। राजनीतिक घराने से तल्लुक रखने वालीं लिपी बिहार कैडर की आईपीएस हैं। तेज-तर्रार कार्यप्रणाली के कारण बिहार के लोग उन्हें 'लेडी सिंघम' के नाम से पुकारते हैं। हालांकि, अपनी कार्यशैली के कारण वह कई बार विवादों में घिर चुकी हैं। हाल ही में मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई फायरिंग को लेकर वह एक बार फिर विवादों में हैं। निर्वाचन आयोग की नाराजगी के बाद उन्हें जिले से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। आइए जानते हैं इस आईपीएस लिपी सिंह के बारे में ....
नई दिल्ली। लिपि सिंह बिहार के नालंदा जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता आरसीपी सिंह भी आईएएस अफसर रह चुके हैं। वह वर्तमान में जनता दल यूनाइडेट (जेडीयू) से राज्यसभा सांसद हैं। आरसीपी सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं। वह पार्टी के चुनाव प्रबंधन का जिम्मा भी संभालते हैं। लिपी सिंह शुरू से ही पढ़ने में काफी होशियार थीं। उन्हें बचपन से ही खाकी काफी आकर्षित करती थी। यही वजह हैं कि 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद से ही उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी थी। साल 2016 में वह आईपीएस बनीं। लिपि ने 2015 में सिविल सर्विसेज का एग्जाम क्वालिफाई किया था। इसमें उनकी 114 रैंक थी। ट्रेनिंग में बेहतर प्रदर्शन के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन्हें बिहार कैडर अलॉट किया था। लिपी सिंह को नालंदा जिले की पहली महिला आईपीएस अफसर बनने का गौरव भी हासिल है।
बाहुबली विधायक अनंत सिंह को गिरफ्तार कर पहली बार सुर्खियों में आईं
लिपि सिंह शुरू से ही अपनी कार्यशैली को लेकर सुर्खियां बटोरती रहीं, लेकिन पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में तब आईं जब उन्होंने बिहार के मोकामा से बाहुबली विधायक अनंत सिंह के घर पर छापा मारकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। इससे पहले किसी अफसर ने अनंत सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटाई थी। इस ‘बाहुबली नेता’ का कई जिलों में इतना खौफ था कि कोई उसके खिलाफ मुंह खोलने को तैयार नहीं होता था। ये सारी बातें जानते हुए भी आईपीएस लिपी सिंह ने अनंत सिंह के गढ़ कहे जाने वाले उसके पैतृक गांव लदमा स्थित घर पर छापा मारा। यहां से पुलिस को एके-47 राइफल, 22 कारतूस और 2 देसी बम बरामद हुए। इस कार्रवाई के बाद बाहुबली अनंत सिंह फरार हो गया। लेकिन लिपी ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और गिरफ्तार करके ही दम लिया। इस बहादुरी के कारण लिपी को एएसपी से प्रमोट कर मुंगेर जिले का एसपी बनाया गया था।
पहले भी झेल चुकी हैं चुनाव आयोग की नाराजगी
साल 2019 में अनंत सिंह की गिरफ्तारी के बाद भी लिपी सिंह ने कार्रवाई बंद नहीं की। उन्होंने बाहुबली नेता के करीबियों पर केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करना जारी रखा। लिपि ने अनंत के बाद उसके करीबी लल्लू मुखिया के खिलाफ केस दर्ज कर गिरफ्तारी के लिए दबिश देना शुरू किया, लेकिन वह अंडरग्राउंड हो गया। काफी कोशिशों के बाद भी जब वह हाथ नहीं आया, तो लिपि कोर्ट जा पहुंचीं और लल्लू मुखिया की संपत्ति को कुर्क करने की परमिशन ले आईं। इससे अनंत सिंह गिरोह की कमर टूट गईं। इसी बीच लोकसभा चुनाव आ गए। इस मौके को कैश कराते हुए अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी ने चुनाव आयोग में लिपी सिंह के खिलाफ शिकायत कर दी थी। नीलम का आरोप था कि महिला पुलिस अफसर जानबूझ कर अनंत के करीबियों को परेशान कर रहीं हैं। चुनाव आयोग ने शिकायत को गंभीरता लेते हुए लिपि का ट्रांसफर कहीं और करने का आदेश दिया। तब लिपी को एटीएस (एंटी टेरेरिज्म स्क्वॉड) में भेज दिया गया। हालांकि चुनाव के बाद उन्हें दोबारा मूल स्थापना में बुला लिया गया था।
दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान फायरिंग के कारण अब विवादों में आईं
26 अक्तूबर को मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस-प्रशासन की जल्दबाजी के कारण भीड़ उग्र हो गई और पथराव करने लगी। स्थिति बिगड़ते देख पुलिस ने फायरिंग कर दी। इसमें एक युवक की मौत हो गई, जबकि आधा दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए। इस घटना से नाराज लोगों ने दो दिन बाद पूरब सराय थाने में आग लगा दी। कई चौकियों को फूंक दिया। उग्र भीड़ ने एसपी ऑफिस को भी नहीं बख्शा। कई पुलिस वाहन आग के हवाले कर दिए गए। एसडीओ व डीएसपी के दफ्तर व आवास पर पथराव किया गया। बिहार में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच मुंगेर में हुई हिंसा को चुनाव आयोग ने गंभीर घटना मानते हुए तत्काल प्रभाव से कलेक्टर राजेश मीणा और एसपी लिपि सिंह को हटा दिया। इस घटना के बाद से ही लिपी सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हालांकि उन्होंने फायरिंग के आदेश देने के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। लेकिन लोग यह मानने को तैयार नहीं हैं। मुंगेर में पुलिस की कार्रवाई की तुलना लोग जालियांवाला बाग नरसंहार से करते हुए एसपी लिपी सिंह को 'जनरल डायर' बता रहे हैं।
पिता के रसूख का लाभ लेने के भी लगते रहे हैं आरोप
एसपी लिपी सिंह की गिनती भले की देश की तेर-तर्रार महिला पुलिस अफसरों में होती हो, लेकिन उन पर हमेशा से पिता के सियासी रसूख का लाभ उठाने का आरोप लगता रहा है। चर्चा है कि ट्रेनिंग के बाद ज्यादातर पोस्टिंग में वो अपने पिता आरसीपी सिंह के आस-पास ही रही हैं। मुंगेर की घटना के बाद राजनीतिक दल सवाल उठा रहे हैं कि ये जानते हुए भी कि आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के करीबी हैं फिर भी उनकी बेटी की ड्यूटी चुनाव के दौरान एक जिले में क्यों लगाई गई।
लिपी के पति हैं आईएएस
आईपीएस लिपी सिंह की शादी सुहर्ष भगत से हुई हैं। वह आईएएस अफसर हैं। फिलहाल सुहर्ष बांका के डीएम हैं। लिपी की तरह ही उनके पति पर भी राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगते रहे हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.