अपनी पढ़ाई के दौरान राशी ने सड़क पर रहने वाले बच्चों की दुर्दशा को देखी। उन बच्चों के लिए कुछ अलग करने के बारे में सोचकर ही उन्होंने लक्ष्यम की स्थापना की।
शिक्षा और ज्ञान की पूर्ति कभी नहीं हो सकती। हम अपनी आने वाली पीढ़ी को सौम्य और शिक्षित बनाने का प्रयास करते है। इसके लिए हम उन्हें शुरू से ही संस्कार देते हैं। लेकिन जब बात शिक्षा से वंचित बच्चों की आती है तब हम उन्हें बेसिक शिक्षा के अलावा कोई और संस्कार देने की बात नहीं करते हैं। क्योंकि इसे पाना बेहद कठिन काम है। लेकिन दिल्ली के एक मध्यम परिवार में जन्मी राशी आनंद बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देने का भी काम कर रही हैं। राशी ने साल 2012 में लक्ष्यम नाम से एक एनजीओ खोला। उनका एनजीओ पूरे भारत में मलिन बस्तियों के बच्चों को न सिर्फ शिक्षा देने का काम कर रहा है बल्कि उन्हें यह भी सिखाता है कि कैसे एक बेहतर इंसान बनना है। इससे बच्चे आगे की जिंदगी के लिए तैयार होते हैं।
राशी ने तकरीबन 18 साल की उम्र में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी कर ली थी। इसी दौरान उन्होंने अपनी मां के साथ काम करना शुरू कर दिया था। उनकी मां आदिवासी महिलाओं के उत्थान के लिए काम करती थीं। उन्होंने रांची में एक अनाथालय की स्थापना की, जहां दिव्यांग व अनाथ बच्चों का पालन-पोषण किया जाता है। राशी अक्सर मां के साथ ग्रामीण क्षेत्रों की यात्राएं करती थीं। वहीं उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के जीवन और गरीबी का अनुभव किया। राशी ने स्नातक, परास्नातक के साथ राष्ट्रीय विज्ञापन संस्थान से विज्ञापन और इवेंट मैनेजमेंट में डिप्लोमा प्राप्त किया है। पढ़ाई के दौरान ही जब राशी सड़क किनारे रहने वाले बच्चों की दुर्दशा देखती थी तो बहुत परेशान हो जाती थी। सड़क किनारे बच्चे भीख मांगते थे, नशीले पदार्थों की तस्करी को अंजाम देते थे। हालांकि अधिकतर मामलों में ये बच्चे परिस्थितियों के आगे मजबूर होकर ऐसे काम करते हैं। राशी ऐसे बच्चों को सामान्य जीवन जीने का मौका देना चाहती थी और इसी उद्देश्य के साथ उन्होंने 'लक्ष्यम' की स्थापना की। सबसे पहले राशी ने बच्चों के लिए खिलौने और पुस्तकें इकट्ठा करना शुरू किया। उन्होंने तकरीबन 60 हजार खिलौने इकट्ठे करके वितरित किए।
सक्षम स्कूल
राशी कहती है, चूंकि इन बच्चों को शिक्षित करना हमारा प्रमुख उद्देश्य था, इसलिए हमने वसंतकुंज इलाके में सक्षम नाम से एक स्कूल खोला, जहां करीब दो सौ बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है। स्कूल वंचित बच्चों में नशा और तंबाकू सेवन के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन करता है।
शिक्षा की ओर
राशी का अनजीओ लक्ष्यम अब दिल्ली, उत्तराखंड, तमिलनाडु, झारखंड और कर्नाटक समेत छह राज्यों में काम कर रहा हैं। बीते कुछ वर्षों में इस एनजीओ ने सड़क पर रहने वाले तकरीबन सात हजार बच्चों की मदद की और उन्हें शिक्षा की ओर मोड़ा है।
शुरुआती परेशानियां
राशी कहती है, मैं पेशे से एक इवेंट मैनेजर हूं। एनजीओ की शुरुआत में लोगों ने मेरी योजनाओं को गंभीरता से नहीं लिया था, उनका मानना था कि यह वयस्क लोगों का काम है, न कि युवाओं का। लेकिन मां के सहयोग और दोस्तों के नैतिक समर्थन के चलते मैं इन मुश्किलों का सामना करने में सक्षम थी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.